गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

वाह रे मिडिया वाले

वाह रे मिडिया वाले ,तेरी अच्छाई और बुराई दोनों ही चरम पर हैं ,सच्ची बातों के लिए आवाज़ बुलंद करते हो और कभी-कभी तिल का ताड़ बनाने में भी माहिर ,आजाद भारत में व्यक्ति को अपनी अभिव्यक्ति भी स्वछंद और स्वतन्त्र रूप में व्यक्त करने की आजादी नहीं है ।किसी के मुँह से वकार क्या निकली कि तोड़-मरोड़कर  गलत तरीके से गुमराह करने और मतलब निकालने का महारत भी पास रख लेते हो । खैर बुद्धिजीवियों और समझदारों पर तो इसका कुप्रभाव नहीं पड़ता । एक बात तो सत्य है की मोदी की लोकप्रियता और प्रसिद्धि विरोधियों के गले की हड्डी बन गई है ,वरोधी पार्टियां तिलमिला-तिलमिला कर जल भून रही हैं । इसीलिए अनाप-शनाप गुद्दी में गुद्दी निकालती रहती हैं ,लालू इतना घटिया स्तर का भाषण देता है किसी पर जूं तक नहीं रेंगता और कोई सही बात भी बोले तो बवाल हो जाता है राबड़ी जैसे लोग विहार की वागडोर थाम सकते है , बोलने के लिए बहुत कुछ है पर बवाल और टीका टिप्पड़ी सहने की क्षमता नहीं है उददंड और उजड्ढ लोगों की की बेसिर पैर बातें सुनने के लिए ।
                                                               शैल सिंह
                                                      

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