फासले मिट गए चन्द मुलाकात में
वह महफ़िल में आये सभी की तरह
पर लगे क्यों नहीं अजनवी की तरह ,
नज़र क्या मिली कुछ घड़ी के लिए
वीरां ज़िन्दगी में जैसे बहार आ गई
जो ना उनने कहा कुछ ना मैंने कहा
वही ज़ज्बात आँखों के द्वार आ गई,
सांसें मस्त हो गईं डूबकर ख़्वाब में
बिन पिए मय जैसी खुमार आ गई
निखर सी गया मेरी दुनिया का रंग
कोई सरगम सी जैसे झंकार आ गई ,
जिस छाया ने पागल किया था मुझे
सामने साया साक्षात् साकार आ गई
करती लाखों जतन ख़ुशी छुपती नहीं
ज़िक्र बन शायरी लबे-ए-पार आ गई ,
फासले मिट गए चन्द मुलाकात में
करके ऐतबार दिल को करार आ गया
मिली जबसे नजर रौशनी मिल गई
मोहब्बत भरा ख़त से इक़रार आ गया ।
शैल सिंह
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