''शरारती चाँद''
मुखड़ा दिखावे चाँद बदरा की ओट से
लुका-छिपी करे ओढ़ी घटा की चदरिया ,
हमें कांहें तड़पावे तरसावे मुस्काई के
रही -रही टीस उठे जांईं जब सेजरिया ,
हमका रिझाई करे चन्द्रिका से बतिया
अंखिया मिलावे कभी फेरी ले नज़रिया ,
देखि ई निराला प्रेम करवट कटे रतिया
लोचन से लोर ढुरे जईसे बरसे बदरिया ,
बलमा अनाड़ी नाहीं बूझे मोरे मन की
निंदिया बेसुध सोवे तानी के चदरिया ,
हियरा के गूंढ़ बात अब कहीं केकरा से
तनी अस केहू होत लेत हमरो ख़बरिया।
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