बुधवार, 21 अगस्त 2013

''शरारती चाँद''

                  ''शरारती चाँद''        


मुखड़ा  दिखावे  चाँद  बदरा की ओट से 
लुका-छिपी करे ओढ़ी घटा की चदरिया ,
     हमें कांहें तड़पावे तरसावे मुस्काई के 
     रही -रही टीस उठे जांईं जब सेजरिया ,
हमका रिझाई करे चन्द्रिका से  बतिया 
अंखिया मिलावे कभी फेरी ले नज़रिया ,
      देखि ई निराला प्रेम करवट कटे रतिया 
      लोचन से लोर ढुरे जईसे बरसे बदरिया ,
बलमा अनाड़ी नाहीं बूझे मोरे मन की 
निंदिया बेसुध  सोवे तानी के चदरिया ,
      हियरा के गूंढ़ बात अब कहीं  केकरा से
      तनी अस केहू होत लेत हमरो ख़बरिया।  

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