नूतन पीढ़ी
यह युग लाया जाने दौर है कैसा
कि तिनका-तिनका बिखर गया है।
आज जिस दौर से गुजर रहे हम
जिस पर सबसे असर पड़ा है ज्यादा
वह है सारे रिश्तों के टूटे बिखरे
संवेदनशील सम्बन्धों का धागा।
इस युग की युवा पीढ़ी को भाता
लोग बाग़ समूह से परे एकाकीपन
नटखट खो गया अबोध बालपन
हुआ परिपक्व समय से पहले मन।
भाँति-भाँति के खेल गुलेल लुप्त सब
संग,साथ,चौकड़ियों का हुआ अभाव
आपस का सारा सद्दभाव मिटा रहा
कंम्प्यूटर, मोबाईल का बढ़ता चाव।
नैतिकता खो रही यह नूतन पीढ़ी
पल रही दिनचर्या अपसंस्कृति में
श्रम प्रयास से विमुख हो रहे सबलोग
तत्पर लाभ की परिचर्चा विकृति में।
शर्म,हया,भय,संकोच मिटा दिये सभी
दूर हो रही मुख से मासूमियत भोली
टूटते बिखरते तालमेल सुमेल खो रहे
आँखें विनम्रहीन,ओछी हो रही बोली।
मुशफ़िरख़ाना लगती बाबुओं को ड्योढ़ी
बस लड़कियों में ख़ुशी तलाशते फिरते हैं
ना जाने किस भंवर में उलझे रहते भैया
सब हैं साथ मगर खोये-खोये से रहते हैं ।
अविलम्ब शिखर तक जाने की तत्परता
प्रतिभा बिकने लगी सरेआम बाजार में
सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ें उन्हें वक़्त कहाँ जब
बोली लगने को योग्यता कड़ी कतार में ।
लुभा रही है हर युवा मन को आज
विदेशी जमीं की वेगवती झंकृत मुद्राएँ
क्यों ना थोड़ा चिन्तन कर खोजें खुद
अपनी ही जड़ जमीं पर नयी दिशाएं ।
नयी हवा के झोंकों में बहके इन
युवाओं को कदम संभालना होगा
गैरों के दरवाजे दस्तक देने से पहले
दिशाहीन मन को खंगालना होगा ।
सम्बन्धों की अतल गहराई में डूबें
भावनाओं के तीव्र प्रवाह में गोते लें
टूटन ,विखंडन ,कसक ,खटास , ग़म
ना जाने किस भंवर में उलझे रहते भैया
सब हैं साथ मगर खोये-खोये से रहते हैं ।
अविलम्ब शिखर तक जाने की तत्परता
प्रतिभा बिकने लगी सरेआम बाजार में
सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ें उन्हें वक़्त कहाँ जब
बोली लगने को योग्यता कड़ी कतार में ।
लुभा रही है हर युवा मन को आज
विदेशी जमीं की वेगवती झंकृत मुद्राएँ
क्यों ना थोड़ा चिन्तन कर खोजें खुद
अपनी ही जड़ जमीं पर नयी दिशाएं ।
नयी हवा के झोंकों में बहके इन
युवाओं को कदम संभालना होगा
गैरों के दरवाजे दस्तक देने से पहले
दिशाहीन मन को खंगालना होगा ।
सम्बन्धों की अतल गहराई में डूबें
भावनाओं के तीव्र प्रवाह में गोते लें
टूटन ,विखंडन ,कसक ,खटास , ग़म
प्रणय के अपरिमित जलधार में धो लें ।
कोसों पीछे छूट गया है जो युग प्यारे
उसकी तह दर तह विहँस फिर खोल
ख़ुशी से खिलखिला कर अट्टहास कर
होंठों की सलवटें हटा हुलस कर बोल ।
आवश्यकता है फिर से हम सबको ही
हर पल को सुख पूर्वक साथ बिताने की
आदर्श सम्बन्धों को और मजबूत बनायें
दादी-बाबा,नानी-नाना साथ जुड़ाने की ।
शैल सिंह
होंठों की सलवटें हटा हुलस कर बोल ।
आवश्यकता है फिर से हम सबको ही
हर पल को सुख पूर्वक साथ बिताने की
आदर्श सम्बन्धों को और मजबूत बनायें
दादी-बाबा,नानी-नाना साथ जुड़ाने की ।
शैल सिंह
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