स्वर्ण विहान कर विदा हो रात आखिरी

    छंटे मन की उदासी सजे मधुर कल्पना 
    नव वर्ष में हों साकार कुल मनोकामना 
    गूंजे दिशाओं में मस्त अमन की बांसुरी 
    स्वर्ण विहान कर विदा हो रात आखिरी ।

स्वर्णिम,उज्वल,सुखद हो हम सबका भविष्य 
उमंग तरंग भरा नये वर्ष का अनोखा हो दृश्य 
मन के मतभेद मिटा भाईचारा सद्भाव बढ़ाना 
नव संवत्सर उम्मीदों की नवकिरण बिखराना ।

नई ताज़गी के साथ शुरुआत हो नये साल की‌  
खूबसूरत हो ज़िंदगी का हर पल नये साल की 
न कोई मायूस रहे ना चेहरे पे किसी के उदासी 
गुजरे वर्ष तुझे अलविदा मुबारक नये साल की ।

दुआ है सफ़र हो सुहाना सलामत रहें सब लोग 
प्रेम सौहार्द बांटते हॅंसते मुस्कुराते रहें सब लोग 
हर ख़्वाहिशें हों पूरी मिले कामयाबी हर क्षेत्र में 
खुशियां ही खुशियां हो नमी ना हो किसी नेत्र में ।

शैल सिंह 
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