सम्भावनाओं का घर
मनोमस्तिष्क में बस गया है एक गांव
एक बेचैनियों का एक स्मृतियों का घर
एक शिकायतों का एक मोहब्बतों का घर
ऑंखों की दहलीज़ पर एक ऑंसुओं का घर
एक मिलन के अविस्मरणीय निशानियों का घर
एक तलाश का घर कुछ अनकहे दास्तानों का घर
एक आहटों का घर खिलखिलाती महफ़िलों का घर
एक उदासीयों का घर एक टीसती खामोशियों का घर
कभी आओगे बीते लम्हे याद कर,सम्भावनाओं का घर
कभी तो गुफ्तगू करने तुम भी आओ ना इन गांवों के घर।
शैल सिंह
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