हजारों ख़्वाहिशें भी ठुकरा दूँगी तेरे लिए
तूं ख़ुश्बू सा बिखर जा साँसों में मेरे लिए ।
ग़र मुकम्मल मुहब्बत का दो तुम आसरा
तुझे दिल में नज़र में अपने बसा लूँगी मैं
माँगकर तुझको मन्नत में हमदम ख़ुदा से
हथेली में नाम की तेरे मेंहदी रचा लूँगी मैं ।
सजाऊँ दिल में ग़ैर का अक़्स आसां नहीं
इस क़दर हूँ गिरफ़्तार तेरी मोहब्बत में मैं
ना गुजरा करो ऐसे यूँ कतराकर बग़ल से
समझती ख़ुद को रईस तेरी सोहबत में मैं ।
लगे बिन तुम्हारे जहाँ में कोई अपना नहीं
तेरे हाथों में रहे हाथ मेरा,बस सपना यही
तेरे ईश्क़ की नदी में डूब मर जाना क़ुबूल
मगर तुझसे बिछड़ कर जीना तमन्ना नहीं ।
जरा दे दो तसल्ली तुम अपना बनाने की
नामंजूर तेरे आगे सारी ख़ुशियाँ जहाँ की
दिल का एहसास पिरो दी हूँ अल्फ़ाज़ों में
करो दिल पे तुम हुकूमत मैं मना कहाँ की ।
अब तक हैं फ़ासले क्यों तेरे मेरे दरमियाँ
क्या मुझमें कमी है कैसी मुझमें ख़ामियाँ
दिल के दर्पण में नक़्श तेरा जो संवारी हूँ
उसके आगे मुझे फीकी लगे सारी दुनिया ।
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शैल सिंह
माँगकर तुझको मन्नत में हमदम ख़ुदा से
जवाब देंहटाएंहथेली में नाम की तेरे मेंहदी रचा लूँगी मैं ।
वाह!!!!
🙏🙏 धन्यवाद आपका
हटाएंमुहब्बत ने दीवाना बना दिया ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
😁😁🙏🙏 आभार आपका
हटाएंबहुत-बहुत आभार आपका,बहुत दिनों बाद देखी प्रतिक्रिया आपकी
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