कहना मुश्किल जो लफ़्ज़ों में
मुझे जब भी सताये याद तेरी
ले कर तस्वीर तुम्हारी हाथों में
नयनों की तृषा बुझा सुख पा लेती हूँ ।
हँसी के पर्त में दर्द छुपाकर
यादों के तराने होंठों पे सजाकर
गा-गा कर ग़म पर विजय पा लेती हूँ ।
कहना मुश्किल जो लफ़्ज़ों में
लिख कर ख़ामोशी से पन्नों पर
अंदर के निनाद से नजात पा लेती हूँ ।
अक्सर ही हृदय के प्रांगण में
हू-ब-हू सजाकर अक्स तुम्हारा
दृग को दरश करा दौलत पा लेती हूँ ।
बहुत वफ़ादार हैं यादें तुम्हारी
निभाती रहीं जो वादे आज तलक़
वादों के सौगात से हयात पा लेती हूँ ।
जो दर्द छिपा रखी हूँ सीने में
उस दर्द की कोई माकूल दवा नहीं
दर्द से ही दर्द का उपचार पा लेती हूँ ।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 जुलाई 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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पुन: भेंट होगी...
बहुत-बहुत आभार पम्मी जी " पाँच लिंगों के आनन्द का अवश्य स्वागत करूंगी।
हटाएंयादों को क्या खूब जिया आपने
जवाब देंहटाएंशिकायत का मौका न दिया आपने
स्वागत है ।
धन्यवाद नूपुर जी
हटाएंसुकून पाने के अलग अलग अंदाज । बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार आपका,सचमुच सुकून के हर अंदाज को लेखनी द्वारा जिया ।
हटाएंबेहतरीन अंदाज .........
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय भास्कर जी
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