सोमवार, 11 जुलाई 2022

कहना मुश्किल जो लफ़्ज़ों में

कहना मुश्किल जो लफ़्ज़ों में 


मुझे जब भी सताये याद तेरी
ले कर तस्वीर तुम्हारी हाथों में
नयनों की तृषा बुझा सुख पा लेती हूँ ।

हँसी के पर्त में दर्द छुपाकर
यादों के तराने होंठों पे सजाकर 
गा-गा कर ग़म पर विजय पा लेती हूँ ।

कहना मुश्किल जो लफ़्ज़ों में 
लिख कर ख़ामोशी से पन्नों पर 
अंदर के निनाद से नजात पा लेती हूँ ।

अक्सर ही हृदय के प्रांगण में
हू-ब-हू सजाकर अक्स तुम्हारा
दृग को दरश करा दौलत पा लेती हूँ ।

बहुत वफ़ादार हैं यादें तुम्हारी
निभाती रहीं जो वादे आज तलक़
वादों के सौगात से हयात पा लेती हूँ ।

जो दर्द छिपा रखी हूँ सीने में
उस दर्द की कोई माकूल दवा नहीं
दर्द से ही दर्द का उपचार पा लेती हूँ ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
                  शैल सिंह 


8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 जुलाई 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
    >>>>>>><<<<<<<
    पुन: भेंट होगी...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत-बहुत आभार पम्मी जी " पाँच लिंगों के आनन्द का अवश्य स्वागत करूंगी।

      हटाएं
  2. यादों को क्या खूब जिया आपने
    शिकायत का मौका न दिया आपने

    स्वागत है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुकून पाने के अलग अलग अंदाज । बेहतरीन ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी बहुत-बहुत आभार आपका,सचमुच सुकून के हर अंदाज को लेखनी द्वारा जिया ।

      हटाएं

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