सोमवार, 13 अप्रैल 2020

कोरोना पर गीत

कोरोना पर गीत


घर में ही रहना सुरक्षित कहीं घर से बाहर ना जाना
अस्पृश्य है कोरोना संक्रमित मुई को गले ना लगाना

खतरनाक डायन है संक्रमण कोरोना
घुल बह रही ये हवाओं में समझो ना
ऐसी मौत को निमन्त्रण दे ना बुलाना
हवा ज़हरीली दोज़ख़ घर में ना लाना ,

ये अणु वायरस है आखेटक शिकारी
क्षण मिनटों में फैलाती घोर महामारी
रहना संभल कर ऐसी घातक बीमारी
रब की नेमत अमोल ज़िंन्दगी तुम्हारी,

क्यों बाहर निकलने की ज़िद पर अड़े
इसने कर दिया बड़े-बड़े धराशाई धड़े
चप्पे-चप्पे पर एहतियात के पहरे कड़े
सामां बहुत जी बहलाने के घर में पड़े,

मन के घोड़ों पर लगा लगाम हम रखें
लाॅकडाउन में बंद है शहर टाऊन देखें
नये मिज़ाज की बला यह समझें परखें
कोरोना क़हर से खुद को सलामत रखें,

करें अनुपालन मोदी  के अभियान का
हमें तोड़ना मिल कर अभिमान इसका
कर पर्दाफ़ाश कोविद  की साज़िश का
परास्त कर इसे खोजें समाधान इसका,

यही एकमात्र विकल्प सामाजिक दूरी
बनाये जिसे रखना हम सबको ज़रूरी
विश्व की पीर हरने को लें संकल्प पूरी 
जग में विजयी हो भारत दमके सिंदूरी ।

सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह

2 टिप्‍पणियां:

ज़िन्दगी पर कविता

ज़िन्दगी पर कविता  दो पल की ज़िंदगी है दो पल जियें ख़ुशी से हंसकर मिलें ख़ुशी से  खुलकर हंसें सभी से। बचपन में खेले हम कभी चढ़के आई जवानी फि...