रविवार, 4 सितंबर 2022

" अम्बेडकर का संविधान बदल देखिए "

        आरक्षण पर कविता 

         सरकार से निवेदन  


हो चुकी है मियाद ख़तम दख़ल दीजिए
जनता की अरज पर भी अमल कीजिए
नोटबंदी जीएसटी के  मानिन्द माननीय
क़मर कस कर और इक करम कीजिए 

आरक्षण के कोढ़ों से हो मुक्त देश मेरा
इस दीमक से हो रहा खोखला देश तेरा
मेहनतकश नस्लों पर भी रहम कीजिए
हो चुकी है मियाद ख़तम दख़ल दीजिए ।

आरक्षण के हवनकुंड चढ़तीं प्रतिभायें
आर्थिक आधार पर हों चयन प्रक्रियायें
इस नई मुहिम को अब सफल कीजिए
हो चुकी है मियाद ख़तम दख़ल दीजिए ।

तपती योग्यतायें इस मियादी बुखार में
झुलसें बुद्धिजीवी आरक्षण के अंगार में
महोदय इलाज़ का शीघ्र पहल कीजिए
हो चुकी है मियाद ख़तम दख़ल दीजिए ।

बढ़ते अपराध क्यों परत तक तो जाईए
आरक्षण हटा कर एक बार आजमाईए
ऐसी महामारी का अबिलम्ब हल ढूंढिए
हो चुकी है मियाद ख़तम दख़ल दीजिए ।

प्रतिभावों संग होता ये अत्याचार रोकिए
हौसलों का पर ना कतर कर के फेंकिए
अंबेडकर का संविधान बदल तो देखिए
हो चुकी है मियाद  ख़तम दख़ल दीजिए । 

कहर आन्दोलन का भी असहनीय होगा
उम्मीदों पे उतर के देखें अवर्णनीय होगा
जायज है मांग हमारी अब बिगुल फूंकिए
हो चुकी है मियाद ख़तम दख़ल दीजिए ।

                         शैल सिंह

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