शनिवार, 1 अक्टूबर 2022

अहोभाग्य उत्तर प्रदेश का

योगी जी के मुख्यमन्त्री बनने पर कविता

अब होगा उत्तर प्रदेश का उन्नयन
कंवल फूल खिला जन-मन के उपवन ,

इक संत की हुई है ताज़पोशी
कितनी हनक,धमक के साथ
अरे अहोभाग्य उत्तर प्रदेश तेरा
रच डाला जनमत ने इतिहास ,

हाथी का मद चूर-चूर हुआ
चारों खाने चित पड़ी निढाल
खिसियानी बिल्ली सी खम्भा नोचे
छाती पीटे बना ईवीएम को ढाल ,

हाय घोंचू पंजा ने कर दिया कैसा
साईकिल भैया का बदतर हाल
इतनी गहरी खाई में ढकेला कि
बिखर गया बिछा शतरंजों का जाल ,

अस्तित्व झाड़ू का खतरे में 
खा-खाकर खुजलीवाले से ख़ार
टूटकर बिखर रहा एक-एक सींका
जाने अब क्या होगा अगली बार ,

लालटेन इतना भी मत भभको 
आँधी नहीं इस बार की बख़्शेगी
बाती पर रखना कस लग़ाम [ ज़ुबान पे ]
जनाधार की कैंची ही कतरेगी,

टकरा-टकरा राष्ट्रवादी ताक़तों से 
हवाएं भी गईं चहुँओर की हार
सहर्ष लिपट गईं आकर गले
पुष्प बन,योगी जी के गले का हार ,

साहूकार बनकर जो लूट रहे थे
धड़ाधड़ सरकारी ख़ज़ानों का माल
अकल उनकी भी ठिकाने लगा दिए
ख़ुद उनके अपने ही सियासी चाल ,

और कितने दिन छलते देशद्रोही
छद्म पाठ साम्प्रदायिकता का पढ़ाकर
ऐसा जड़ा तमाचा बड़बोले गालों पर
जनता ने गढ़-गढ़ पत्ता साफ़ कराकर ,

वर्षों से डराकर जिन भौकालों से 
वर्णों-धर्मों का ग़द्दारों ने किया व्यापार
आज़ योगी,मोदी जी के क़द्रदानों ने
उन्हें धूल चटा बहा दिया यूपी में बयार ।

                                      शैल सिंह




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