सोमवार, 4 जुलाई 2016

गुलाब से सीख

गुलाब से सीख 


तेरी सुवासित कोमल पंखुड़ियाँ
पर काँटों भरी टहनियाँ क्यों हैं    
ऐ गुलाब बता तेरे ताबों के संग
शूलों की इतनी लड़ियाँ क्यों हैं '



     

इन शूलों के भी बीच अकड़कर
कैसे सुर्ख सिंगार कर मुस्काता है
दुनिया को जरा यह रहस्य बता दे
शूलों में घिर कैसे सुगंध फैलाता है  ।

                                 शैल सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

होली पर कविता

होली पर कविता ---- हम उत्सवधर्मी देश के वासी सभी पर मस्ती छाई  प्रकृति भी लेती अंगड़ाई होली आई री होली आई, मन में फागुन का उत्कर्ष अद्भुत हो...