शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

सन पन्द्रह ने दिया सन सोलह का उपहार


सन पन्द्रह ने दिया सन सोलह का उपहार


हम नई ऊर्जा के साथ चलो नए साल का
करें स्वागत सन पन्द्रह की दी सौग़ात का
क्या लिया क्या दिया है इस गुजरे साल ने
लिया भूलें,याद रखें क्या दिया नए साल में ,

गीले,शिकवे,मलाल,द्वेष,क्लेश,अहंकर का 
नाश करें हम बुराईयों के हर अंतर्जाल का
मिटा कर तूं और मैं का दर्प,संकल्प लेकर 
फासले मन से मन के मिटा इंसानियत का  
बेकस,बेसहारों को दें संबल सबल बाँह का
आओ नयी ऊर्जा के साथ हम नए साल का
करें स्वागत सन पन्द्रह की दी सौग़ात का ।

भरें प्रेम,सौहार्द्र के सागर से मन का गिलास
ज़श्न की मस्ती में खोकर भींगें हम एक साथ
पंथ,सम्प्रदाय पर फिर कोई सियासत ना हो
इक दूजे के प्रति दिल कोई ख़िलाफ़त ना हो
ख़ाहिश हर मौसम उलीचे शगुन का तोहफ़ा
आओ नयी ऊर्जा के साथ हम नए साल का
करें स्वागत सन पन्द्रह की दी सौग़ात का ।

आओ एक साथ वीणा उठायें भलाई का हम
चलो मुस्करा के वादा निभाएं वफ़ाई का हम
ख़िज़ाँ के दर्द का भी हम मिल करें आंकलन
एकता की ख़ुश्बू से करें मह-मह सारा चमन
स्वयं झाड़कर हम तुम ग़र्द-ए-सफ़र पांव का
आओ नयी ऊर्जा के साथ हम नए साल का
करें स्वागत सन पन्द्रह की दी सौग़ात का ।

जले प्रेम संवाद की घर-घर ताख़ पर ढिबरी 
मानस के उजड़े मकां जले प्रीत की सिगड़ी
पूर्वाग्रहों,भ्रांतियों की मिटाकर वहम् आसुरी
गायें प्रीत का गीत भर हम बांस की बांसुरी
आहों में भर के गुलाबी धूप हम आह्लाद का
आओ नयी ऊर्जा के साथ हम नए साल का
करें स्वागत सन पन्द्रह की दी सौगात का ।

                                      शैल सिंह




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