रविवार, 15 नवंबर 2015


हम सबकी परी नन्हीं परी
कितनी प्यारी-प्यारी है
माँ-पिता की राजकुमारी
दादी-दादा घर पधारी है
नानी-नाना की दुलारी
नर्म फूलों सी सुकुमारी है
मह-मह महकी फुलवारी
सूने घर में ये अवतारी है
बाँहें पालना नाना ने
नन्हीं के लिए संवारी है
नानी की सुन-सुन लोरी
परी करती किलकारी है
दीदी,भैया,मामी-मामा ने
अंक भर नेह से पुचकारी है
ताई-ताऊ सभी मौसियों ने
परी की आरती उतारी है ।
                          शैल सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बे-हिस लगे ज़िन्दगी --

बे-हिस लगे ज़िन्दगी -- ऐ ज़िन्दगी बता तेरा इरादा क्या है  बे-नाम सी उदासी में भटकाने से फायदा क्या है  क्यों पुराने दयार में ले जाकर उलझा रह...