मंगलवार, 12 नवंबर 2019

एक प्यारी सी ग़ज़ल

                 " एक प्यारी सी ग़ज़ल "

उसकी यादों को जेवर गढ़ा मैंने तन पर सजा लिया
इक वो कि मेरी यादों में इक नया रिश्ता बना लिया ,

उसके इक लफ़्ज़ के भरोसे पर कायम हूँ आज तक
इक वो है बिना मेरे ही इक नवीन दुनिया बसा लिया ,

शुभ साअत के चाह में रची न कभी मेंहदी हथेली पे 
इक वो है बिना बेज़ार हुए सेहरा सर पर सजा लिया ,

उम्र भर छलती रही ख़ुद को उठाये आसरे का भार 
इक वो है बड़ी ख़ामशी से दामन मुझसे छुड़ा लिया ,

मेरी ही ध्वनि से बजते रहे कानों के कोटर बेख़याल  
इक वो है राहे-जुनूं में पागल कर आईना चढ़ा लिया ,

ख़ुद के आंच से पिघलती रही देख उफ़क़ का चाँद
इक वो है मेरी पुरनम आँखों में मल कर नहा लिया ,

हम मिज़्गाँ पर सजा रखे वरक़ इश्क़ के लमहों का    
इक वो है जहां सुख का मुझसे अलहदा जमा लिया ,

तमन्नाओं को ख़ाक कर मैंने द्वार पे शम्मां जलाई हैैं
इक वो है ज़नाज़ा हसरतों का देख कंधा लगा लिया , 
 
कोटर --छिद्र 
मिज़्गाँ--पलक

सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह 

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब!
    "...
    उसके इक लफ़्ज के भरोसे पर कायम हूँ आज तक
    इक वो है बिना हमारे ही इक नई दुनिया बसा लिया,
    ..."

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद आपको यशोदा जी

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  3. बहुत बहुत आभार आपका कुसुम कोठारी जी

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