बुधवार, 3 मई 2017

'' कविता '' , '' वीर शहीदों के खूँ का बदला ''

        पाक की बार-बार नापाक हरकतों से आजिज़ एक सैनिक की मोदी सरकार से याचना ,हाल ही में सीमा पर हुए वीभत्स कांड से सारा देश आहत है और मोदी जी से सैनिकों के बंधे हाथ को खुली छूट देने की गुज़ारिश तथा कवायद में लगा है ,इसी परिप्रेक्ष्य में मेरी ये सामायिक रचना जो शायद अवलोकन करने वाले का भी दिल खौला दे और शहीदों के प्रति तथा देश के प्रति उन्माद जगा दे | 

    वीर शहीदों के खूँ का बदला


अब सही न जाये हानि जी
थोड़ा करने दो मनमानी जी  
जल्द खुली छूट दो मोदी जी
सर ऊपर हो गया पानी जी
सेनाओं का बढ़ा मनोबल
करने दो उत्पात तूफानी जी ,

कड़ी धूप के भीषण ताप में भी
डटा रहूँगा असह बरसात में भी
चाहे सर्दी की हो जैसी ठिठुरन
तूफांन,बवंडर की रात में भी
डिगा रहूँगा सीमा पर सीना ताने
दुश्मन बैठा हो चाहे घात में भी ,

डर नहीं बम,गोली बौछारों से
वतन की ख़ातिर मक्कारों से
चाहे भूख बिलबिला दे आहारों से
दर्द सह लैस रहूँगा औज़ारों से
जब तक तन आख़िरी सांस रहेगी
दहलाऊँगा खंग की टंकारों से ,

कभी पग पीछे नहीं हटाऊँगा
चाहे कितनी भी हों दुर्गम राहें
चप्पा-चप्पा आखों की गिरफ़्त में
रखूँगा दुश्मनों पर पैनी निगाहें
वीर शहीदों के खूँ का बदला
लूंगा आस्तीन चढ़ाकर दोनों बाँहें ,

हद कर दी पाक ने बर्बरता की
हमने मानवता की सजा ये पाई है
हमारे निर्दोष प्रहरियों की मोदी जी
देखो सिर कटी लाश घर आई है
हमें भी सर काट शत्रु के गेंद खेलना
जिद से भारत माँ की कसम खाई है ,

खौल रहा ख़ून बेसब्र धमनियों में
गर इक बार ईशारा मिल जाये
तबाही का ऐसा दिखलाऊँगा तांडव
कि पाकिस्तान की धरती थर्रा जाये
फिर पिशाच का पिल्ला तरेरकर
मजाल आँख उठाने की जुर्रत कर जाये  |

                                   शैल सिंह





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