भय,आतंक से मुक्त हो नया साल ये
नव वर्ष तेरा अभिनन्दन कर
किया जग बेसब्री से इन्तज़ार
नव वर्ष तेरा शत वन्दन कर ,
ठसक से नवागत साल ले आना
नेमतें नई खुशियों की नियामतें
पर्यावरण,देश,समाज का विकास
है नवीन श्रृंखला में हमें तराशने ,
तुझसे उम्मीदें ख़ुशियों के सौगातों की
मंशा कारनामों के नए-नए आयामों की
पुलकित मन उल्लसित हर्षित जीवन हो
महकें दसों दिशाएँ नूतन निर्मित कन हो
ठहरे हुए वक्त को पर लग जाये
नवागत वर्ष में जन-जन का उत्कर्ष हो
धर्म,मज़हब की पट जाये गहरी खाई
फिर ना सियासत,नफ़रत सा संघर्ष हो ,
भ्र्ष्टाचार,ग़रीबी,फ़रेब,अन्याय का
प्रेम,सौहार्द,स्नेह भाव से हो निष्कर्ष
हिंसा,द्वेष,घृणा,निराशा,दुर्घटना को
नव प्रभा निगल ले ऐसा हो नव वर्ष
भय,आतंक से मुक्त हो नया साल ये
दंगा,फ़साद,क़त्ल ना कोई बवाल हो
नया साल हो तेरा ऐसा पूण्य आगमन
बढ़े प्रभुत्व देश का हर का ख़याल हो ,
नित नव रंग भरो जीवन के उपवन में
नवीन चेतना,ईमान का करो जागरण
विमल हृदय,मनोवृत्ति हो सकारात्मक
श्रम,निष्ठा,परोपकार का भरो आचरण ,
दुःख-दर्द,पीड़ा,कटुता,कलेश हर लेना
भाईचारे,सद्दभाव की चादर फहराकर
अनसुलझी सुलझाना पिछली पहेलियाँ
सुख समृद्धि बरसा देना नीहार हटाकर।
नीहार--धुंध,कुहासा
शैल सिंह
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