रविवार, 18 सितंबर 2016

पागलों का जमावड़ा

उरी में हुए आतंकी हमले और वीरों की शहादत पर लालू यादव के ये श्रद्धांजलि के शब्द हैं ,मोदी जी पर कटाक्ष कि ३६ इंच का सीना सिकुड़ गया ,इस उजड्ड गंवार की अक्ल को कौन ठिकाने लगाएगा सारा देश शोक संतप्त है ,इस शोक की घड़ी में तो सारे देशवासियों को घर के अन्तर्कलह को किनारे कर भारतीय एकता का सन्देश देना चाहिए ,लालू यादव के इस कथ्य पर भी बवाल मचाना चाहिए ,किस सरकार के कार्यकाल में इस तरह के घातक हमले नहीं हुए ,आशंका तो हो रही कहीं सरकार को बदनाम करने के लिए राजगद्दी की लालसा के लिए कहीं इन विरोधी तत्वों का हाथ तो नहीं ,यदि आतंकी हमलों पर, देश पर मंडराते हुए खतरों पर राजनितिक पार्टियां ऐसी बयानबाजी करती हैं तो पूरे देश से मेरा अनुरोध है की बेहूदे जुबानी हमलों पर उन्हें भी सबक अवश्य सिखाएं,धर्म,जाति-पांति को परे पखकर ऐसे हालात पर एक शब्द भी बेतुका बोलने वाले की जीभ काटकर उसके हाथों में रख देना होगा ,घर के बहरूपियों की उलटीसीधी ,अंट-शंट बयानबाजी से दुश्मनों को हिम्मत मिलती है ,कहाँ देशवासियों, जवानों का हौसला बढ़ाना चाहिए और कहाँ ताना और छींटाकसी केरना ,अरे लालू भी तो देश का नागरिक है क्यों नहीं ७२ इंच का सीना लेकर आगे आते कि प्रधानमंत्री बनकर ही देश का कल्याण करेंगे,शिवसेना की भी बयानबाजी रास नहीं आई,कौन जानबूझकर मौत को बुलावा देगा इन सनकी बरखुरदारों को जिहाद ,आतंक से निपटने की रणनीति पे चर्चा नहीं करनी है बस चूक कैसे हुई ,इनका कहने का मतलब साफ ,सैनिकों ने अपनी मौत का सामान खुद तैयार किया ,पागलों का जमावड़ा है इस देश में दुःख की घड़ी में भी ये लुच्चे एकजुट कभी नहीं हो सकते ,कितना गलत सन्देश जाता है आपसी दुराग्रह का,कभी सोचा है।

                                                                                                                                  शैल सिंह 

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