तुम याद बहुत आए

         तुम याद बहुत आए 


जब-जब कोकिल ने गान सुनाए
और चटक चाँदनी उतरी आँगन 
जब-जब इन्द्रधनुष ने रंग बिखेरा 
जब-जब आया पतझड़ में सावन 
         तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए ,

जब-जब तंज कसे मुझपे जग ने 
मन के सन्तापों पर किया प्रहार 
माथे की शिकन पर गौर ना कर 
दुःखती रेखाओं को दिया झंकार 
         तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए ,

उन्मद यौवन की प्यासी आँखों ने
कभी था उर में तेरा अक्स उतारा 
नाहक़ ही हुई मैं बदनाम निगोड़ी 
जब देखके चढ़ा था जग का पारा 
        तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए ,

हर के जीवन की होती एक कहानी
किसी के छंट जाते बादल बेपरवाह
जबकि दूध का धुला यहाँ कोई नहीं
जब आईना दिखा दिया गया सलाह 
        तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए ,

जब-जब दामन पर उछला कीच 
मेरे  पाप-पुण्यों  पर उठा  सवाल
कितनों की करतूतें  गुमनाम रहीं
जब दिल के ठेस पर मचा बवाल
         तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए ।

                                         शैल सिंह

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नई बहू का आगमन पर मेरी कविता

" विश्वव्यापी व्याधि पर कविता पर कविता "

बे-हिस लगे ज़िन्दगी --