रविवार, 6 मार्च 2016

'' वर्तमान परिदृश्य पर मेरे विचार ''

                             '' वर्तमान परिदृश्य पर मेरे विचार ''

             एक इंदिरागांधी थीं कि अपनी दूरदर्शिता से पाकिस्तान का विभाजन कर दो राष्ट्रों का निर्माण कर भारत को अक्षुण्ण बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ीं , मुझे तरस आता है राहुल गांधी की बुद्धि और विवेक पर जो इस देश को इस देश के लोगों को अभी तक नहीं समझ पाये और समझने का प्रयास भी नहीं कर रहे अपनी दादी का नाम तो भुनाते हैं पर उनके उसूलों,आदर्शों ,सिद्धांतों का अनुसरण नहीं करते ,जिस देश को हमारी महान नेता श्रीमती इंदिरागाँधी ने अपने खून पसीने से सींचा हो उसी दूरदर्शी महिला का अपना नाती इतना घृणित और राजनैतिक गुंडेपन का परिचय दे रहा हो और उस बहरूपिये का समर्थन कर रहा है जो ये कहता है कि रोहित वेमुला मेरा आदर्श है मैं उस मंदबुद्धि से ये पूछना चाहती हूँ कि हमारे संविधान में आत्महत्या का क्या स्थान है हमारे संविधान में आत्महत्या को एक जघन्य अपराध माना गया है अरे आत्महत्या करने वाले तो कायर होते हैं और ये कायर लोग ही जब तुम्हारे मार्गदर्शक है तो बात ही क्या कहने ,हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने क्या इसी कृत्य के लिए देश सेवा में खुद को कुर्बान किया । हमारे संविधान निर्माता बाबासाहब अम्बेडकर कभी भी ऐसे कायरों को इस देश में नहीं देखना चाहते थे वे तो सभी वर्गों को शक्तिशाली और खुशहाल देखना चाहते थे ,पर आज उनके नाम का दुरुपयोग कर कुछ चन्द लोग शक्तिशाली और धनवान बनना चाहते हैं जैसे इन्हीं चंद लोगों के ही बाबा साहब अम्बेडकर थे देश की और जनता के वे कुछ भी नहीं लगते थे कुछ लोग उनपर अपना कितना हक़,अधिकार जताते हैं सिर्फ अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए  ।
   मैं सीताराम येचुरी से ये पूछना चाहती हूँ कि जब इस देश से आप लोगों के शाख की बलि चढ़ गई तो एकमात्र आशा की किरण कन्हैया में दिखाई देने लगी ,आप के जिन सिद्धांतों ने पैंतीस वर्षों में बंगाल को अत्यंत पिछड़े राज्यों की श्रेणी मैं खड़ा कर दिया ,अब पुनः उसी छिछोरी विचार धारा को स्थापित करने के लिए कन्हैया के कन्धों का सहारा दिखाई दे रहा है पर याद रखिये उसी बंगाल के लोग अब बुद्धिमान हो गए हैं अब वे अपनी पुरानी भूलों को नहीं दुहरायेंगे । आप और आप जैसे अन्य लोग ढोल,तासे पीटते रहिये देश जागरूक हो चुका है आप लोग जितनी ही विवादस्पद बातें बातें करेंगे ,देशभक्त और भी मजबूत और एक जुट होते जायेंगे ,हर किसी को अपनी माँ की अस्मिता प्यारी होती है  सीताराम येचुरी और उनके मुट्ठी भर प्रशंसक ,मैं तो कहूँगी कि ये सब सफेदपोश नक्सलाइट हैं जिनसे भारतीय सुरक्षातन्त्र जद्दोजहद और संधर्ष कर रहा है ,केवल पार्टीबंदी और गोलबंदी कर ये लोग देशद्रोहियों का साथ देकर देश के विकास को रोक नहीं सकते यह देश आगे बढ़ चला है और आगे ही बढ़ता जायेगा । आँखें खोलकर देख लो विरोधियों वर्तमान सरकार की सफल विदेशनीति का असर कि आज पाकिस्तान भी अपने आतंकवादियों की सूचनाएं भारत के साथ साझा कर रहा है । ''हर घर में अफजल पैदा होगा '' के विपरीत इस देश के घर-घर में मोदी जी और अब्दुल कलाम जी जैसे महारथी पैदा होंगे । जिस पर देश नाज़ करेगा ,और आप लोग जिस लाल झंडे की बात कर रहे हो वह इतिहास में भी नहीं इतिहास के डस्टबिन के पन्नों में दबकर रह जायेगा यह देश चन्द भौंकने वालों का नहीं वरन देेश पके प्रति अच्छी भावना रखने वाला सवा सौ करोड़ जनता जनार्दन का है और ये लोग विकास पुरुष का साथ देने के लिए अगली पंक्ति में खड़े हैं ,कन्हैया येचुरी,केजरी नितीश ये लोग एक दिन हाशिये पर आ जायेंगे ,भारत माँ का मखौल उड़ाकर भारत माँ के लोगों से ही समर्थन मांगते शर्म आनी चाहिए ,बार-बार भूल नहीं होगी अब विहार के लोग भी अपने कृत्य पर पछताते होंगे ,कन्हैया का भोंडा भाषण नितीश को बेहद प्रभावशाली लगा क्योंकि एक मदारी को मदारी विरादरी ही तो पसंद करेगी ना ।कन्हैया तो खुद ही किसी टीशन का तमाशा दिखाकर भीख मांगने वाला भिखारी लग रहा था वह मोदी जी पर व्यंग्य बाण छोड़कर अपने आजू-बाजू की भीड़ की मनोरंजन का साधन मात्र था ,अपने छिछोरी शख्सियत का भाषण की जादूगरी से तमाशबीनों के बीच अपना भाव बढ़ा रहा था ये भीड़ केवल मजा के लिए थी कन्हैया सोच लो ये कभी साथ नहीं देंगे '' जहाँ मार पड़ी तहाँ भाग पड़े '' वाली कहावत सुने हो ना ,कितना बहक-बहक कर बहस-बहस कर कह रहा था जब तक चना रहेगा आना जाना लगा रहेगा ,अरे मैं तो कहती हूँ की इसका चुरकना बंद करने के लिए फिर से जेल में ठूंस देना चाहये सारी दादागिरी भूल जायेगा ।
     इसने हमारी न्याय व्यवस्था को ललकारा है हमारी न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है । अरे मूर्ख इस देश की न्याय व्यवस्थ इतनी अनूठी है इसका कोई विकल्प नहीं है, ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलेगा ,तूने तो कोर्ट की आज्ञा की अवहेलना की है ,पिंजड़े में तड़प रहा था पिंजड़े से निकलते ही भीड़ के बलबूते चिंघाड़ने लगा । कन्हैया बनकर गोपी,गोपिकाओं का हुजूम इकठ्ठा कर ,तुम्हारी बेहूदी हासलीला का बेहूदा प्रदर्शन एन डी टी वी वालों ने दिखाया जिसमें नचनियां जैसा ही एकदम तू लग रहा था ,किससे बराबरी करने चला है अपनी औकात को तो तौला होता ,याद रख पथविहीन जो सपना पाला रखा है वो कभी पूरा नहीं होगा क्योंकि तूने सवा सौ करोड़ देशवासियों की भारत माता का अनादर और अपमान किया है कहने को बहुत कुछ है पर  ......तुझे बख़्श देती हूँ कि अपनी गन्दी सोच और घिनौनी मानसिकता अपने पास रख हमारे नौजवानों को भटका मत ,वैसे भी भोलेभाले लोग लच्छेदार भाषणों को सुनकर आविर्भूत हो जाते हैं और भीड़ की तरफ आकर्षित हो जाते हैं पर वो कुछ ही लोग होते हैं ,ये भीड़ तो वो है जैसे बहती गंगा में सबका हाथ धोना जिसे तू अपनी ताकत बना बैठा ,देख ले तेरे विरुद्ध लामबन्द होकर बोलने वालों की तादात इंटरनेट,ब्लॉग,फेसबुक,ट्वीटर इत्यादि पर तेरे प्रति और तेरे चहेतों के प्रति ज़हर का ज्वालामुखी ।
             गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी की आजादी के लिए परिश्रम करना पड़ेगा दिल,दिमाग को ठिकाने लगाकर शिक्षा हासिल करनी पड़ेगी हाथ पर हाथ धरकर निठल्लों को आरक्षण भी चाहिए और हर तरह की आजादी भी चाहिए जो मर-मर कर जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं उनका भी हिस्सा आरक्षण की भट्ठी में जा रहा है कोढ़ियों को सब कुछ चाहिए,गर इन्हें आजादी चाहिए तो मुक्त कर देना चाहिए हर चीज से वंचित करके ।
                                                                      शैल सिंह

   

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