मिस्टर कन्हैया जेल जाना तो तुम्हारे लिए वरदान सावित हो गया ,जे एन यू से बहुत सारे नेता निकले लेकिन उनमें से गिने-चुने लोगों को ही यह देश जान पाया और तुम तो जेल से बाहर आकर अच्छी खासी भीड़ जुटाकर अपनी धाक ज़माने में कामयाब हो गए । एस सी एस टी ओ बी सी का कार्ड खेलकर तथा रोहित वेमुला का नाम उछालकर जिस तरह से युवाओं को भरमाने की विसात बिछा रहे हो वह तुम्हारी राजनीतिक कूटनीति की एक चाल मात्र है इससे इतर कुछ भी नहीं । जब कि तुम भी अच्छी तरह जानते हो कि जैसे इस देश में आये दिन विक्षिप्त लोग ख़ुदकुशी ,आत्महत्या करते हैं ,वैसे ही एक केस रोहित वेमुला का भी है वैसे तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है जो लोग अपनी समस्याओं से संघर्ष नहीं कर पाते वे इस तरह का कायरता पूर्ण कार्य अख्तियार कर लेते हैं।
कन्हैया तुम्हें भी अच्छी तरह पता होगा कि जिस नरेंद्र मोदी का आज तुम दहाड़कर मखौल उड़ा रहे हो इन मानसिक दिवालियेपन वाली भीड़ों के समक्ष जिनका अपना कोई वजूद नहीं वरना सौ बार ये हुजूम सोचता कि कैसे देशद्रोही का हम जश्न मना रहे हैं और भाषण सुन रहे हैं ,वही भीड़ तुम्हारे साथ जेल की काल कोठरी में क्यों नहीं गयी इस भीड़ को देखकर तुम्हारे हौसले इतने बुलंद हो गए कि सख्त हिदायत के बावजूद भी जेल से निकलते ही गिरगिट जैसा रंग बदल लिया । मैंने भी एन डी टी वी पर गौर से तुम्हारा भाषण सुना ,तो सुनो मोदी जी भी निहायत गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है और उच्च जाति के भी नहीं हैं, देश हित के लिए संघर्ष करते हुए ही वह आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं । तुम भी पढ़े-लिखे हो बिहार के ऊंची जाति में सम्भवतः पैदा हुए हो आज जो तुम अपना बड़बोलापन इस बिन पेंदी की लुटिया वाली भीड़ के सामने उछाल रहे हो उसके पीछे छिपी तुम्हारी मंसा भी जगजाहिर हो गई है ,तुम किसी दलित फलित के लिए नहीं आवाज उठा रहे हो बल्कि अपने घृणित उद्देश्यों के लिए ट्रम्प कार्ड खेल रहे हो । चूँकि हमारे देश की जनता बेहद भोलीभाली है और सम्भव है वो तुम्हें एम एल ए एम पी भी बना दें पर याद रखो तुम जिस लाल झंडे की बात कर रहे हो वह झंडा पुरे विश्व से दशकों पहले उखड चुका है ,तुम कहते हो कि मेरा परिवार तीन हजार रुपये में चलता है उस परिवार का बेटा इस तरह की बदजुबानी बोल रहा है अरे तुम्हें तो किसी तरह पढाई लिखाई कर अपने परिवार के लिए रोटी रोजी की जुगत में लग जाना चाहिए था अपने परिवार का सम्बल बनना चाहिए था पर तुम तो गन्दी सियासत का भद्दा दांवपेंच खेलकर रातोंरात राष्ट्र विरोधी नारा लगाकर मुट्ठी भर लोगों के बीच में हीरो बन गए ,तीन हजार रूपये की बात कहकर सुर्खियां बटोरकर देश के प्रति अपनी ओछी सोच का झंडा फहराकर प्रसिद्धि पाने में तो तुम कामयाब हो गए ,चंद देशद्रोहियों को बटोरकर मिडिया में उभर भी गए तुम्हारा केवल यही मकसद ही था शायद यही तीन हजार अगले कुछ दिनों में तुम्हें करोड़ों का मालिक बनाने का रास्ता तैयार कर दें । ये जो तुम्हारे आस -पास भीड़ इकट्ठी हुई है वो तुम्हारे साथ जेल की हवा खाने तो नहीं गई जेल में तो घिग्घी बंध गई थी जमानत पर जमानत माँगा जा रहा था जेल से छूटते ही फिर तुम और दोगुने रूप में सनक गए और कोर्ट की सख्त हिदायत भी भूल गए तुम जिस भीड़ के बल पर उछल रहे हो वो ही एक दिन तुम्हें गच्चा देंगे छोड़ देंगे पगलाने के लिए और फिर फ्रस्टेशन में तुम भी एक दिन रोहित वेमुला की तरह विक्षिप्तता की मौत मरोगे ।
मैं तो कहूँगी कि प्रसिद्धि ,शोहरत ,और धनवान बनने के लिए कभी भी कोई राष्ट्र विरोधी नारा लगाकर ऊपर उठने की कोशिश ना करे पहले यह मजबूत ताकतवर देश है तब हम हैं , निवेदन है कि विश्व पटल पर भारत की उभरती हुई छवि को कोई भी पागलपन की हद पार कर धूल धूसरित ना करे । जेल से निकलने के बाद की हेकड़ी बहस-बहस कर मटक मटक कर टी वी पर कन्हैया की भाषण बाजी और कटाक्ष,व्यंग्य सभी ने देखी होगी जो सभी देशप्रेमियों को सभी बुद्धिजीवियों को तिलमिलाने के लिए काफी है ,मैं तो कहूँगी जो इस तरह के सिरफिरों का मकसद है उसमें कभी भी इन्हें कामयाब नहीं होने देना है ऐसे ही लोगों द्वारा देश,समाज ,घर परिवार ,आस-पड़ोस दूषित होता है ।
मैं तो प्रशासन से सरकार से यही कहूँगी कि जितने भी इस तरह के लोग हैं जो बिना परिश्रम के चंद घंटों में सियासत की भोंडी रोटी सेंककर अपनी शख्सियत का बोलबाला दिखाना चाहते हैं उन्हें तत्काल पकड़कर देश की सीमाओं पर तैनात कर देना चाहिए ताकि दुश्मनों से लोहा लेते हुए अपनी ताकत का सबको वो अहसास कराएं ।सियाचिन की गला देने वाली बर्फ का इन्हें भी मजा चखना चाहिए ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों कारगिल तिब्बत इत्यादि सीमाओं पर बिना देर के इन्हें तैनात कर देना चाहिए ,पर ऐसे दगाबाजों से ये भी डर है ये अपने फ़ायदे के लिए दुश्मनो से मिल भी जायेंगे । अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देशद्रोह की भाषा बोलने के लिए है तो मैं भी यह घृष्टता करुँगी देशद्रोहियों के विरुद्ध बोलने की ,ये मेरे मन की बात है ,अभिव्यक्ति की आजादी अगर गलत बोलने के लिए है तो मैं सही बोलने के लिए ऐसी गलती बार-बार करुँगी ।
शैल सिंह
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