'' बहुत प्यारी हमको अपनी सरज़मीं ''
जाविदाँ ,जहाँ आफरीं हिन्द मेरा वतनजहाँगीर जाविदाँ मेरा ज़न्नत सा चमन
नहीं ऐसा जहाँपनाह कहीं भी जहाँ में
सारा जहाँआरा बाअदब करता नमन ,
जाके देखो जहांगिर्द नहीं कहीं पाओगे
ऐसा जमील अौ जमाल है गुलशन मेरा
ज़फ़ा जालसाजी छोड़ो ना गद्दारी करो
जवान स्वालिह बनो मत किताली करो ,
आँखें दिखाने की जुर्रत ,जसारत करो
ना वतन से मेरे जुलसाजी,गद्दारी करो
पल में करेंगे जिलावतन सुनो काफिरों
हम जाँनिसार वतन पर सुनों जाहिलों ,
हम जाविरों को कभी माफ़ करते नहीं
हम हैं कितने जलाली ये जरा जान लो
हम हैं जाबांज जब्बार करने लेने वाले
छोड़ो जब्र जबरन कहा जरा मान लो ,
जम्हूरी सल्तनत नहीं हिन्द जैसी कहीं
मेरे भारत माँ की जन्नत सी है सरजमीं
जवाँ दौलत,जवाहरों का मेरा ये देश है
जवांसाल,जवाँमर्दों का यहाँ समावेश है ,
जाविदाँ --शाश्वत ,अविनाशी
जहाँआफरीं --संसार को रचने वाला
जहाँगीर--चक्रवर्ती ,विश्वविजयी
जहाँपनाह--संसार की सुरक्षा करने वाला
जहाँआरा--संसार प्रशंसक
जहांगिर्द--दुनिया भ्रमण कर
जमील अौ जमाल--मनोहारी सौन्दर्य
जफा--अत्याचार , जवान स्वालिह--नेक इंसान
किताली --रक्तपात,युद्ध
जसारत --दुस्साहस ,धृष्टता
जुलसाजी--धोखेबाजी , जिलावतन---देश निकाला
जाँनिसार---जान न्योछावर , जाविरों---अन्यायी ,अत्याचारी
जलाली --प्रतापी शान वाला , जब्बार--विजय प्राप्त
जब्र ज़बरन --जोर,जुल्म,उत्पीड़न
जवांदौलत जवाहरों--ऐश्वर्यवान ,रत्नमणि
जवांसाल,जवाँमर्दों---नवयुवा,साहसी,हौसलामंद ।
शैल सिंह
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