नौमीद मत होना जहाँ आफ़री साथ तेरे
हर भयावह रात बाद रंगेशफक़ सवेरा
होगा, बात सोज़ दिल को समझा लेना ,
असंख्य गुलाबों की बाग़ है ये दुनिया
फूल चुनना शूलों से दामन बचा लेना
ये दुनिया है फर्श चिकना चौंधियाकर
फिसल ना जाना खुद को संभाल लेना ,
महरूमी-ए-किसमत पर हँसे जमाना
जुल्में-दुनिया से हाले दिल छुपा लेना
ऐतबार,वफा ,खता आग के दरिया हैं
इरादों का अपने ना ख़्वाब जला लेना ,
मायूस हो मुश्किले-हालात से हरगिज़
न खुद को ग़म के आईने में ढाल लेनावक्त के ज़ालिम हाथ की कठपुतलियां
हैं हम,किस्मत रंग लाएगी आज़मा लेना ,
यही इम्तिहान की कठिन घड़ी है दोस्त
आस्मां पर लक्ष्यों का अरमान उगा लेना
जिंदगी इक जंग है संघर्ष अनवरत सही
ठोकरों की नोंक पे अंगड़ाई जवान लेना ,
जो काबिल नहीं तेरे तरज़ीह भी ना देना
इन दिल दुःखाने वालों से मुँह फेर लेना
इन दिल दुःखाने वालों से मुँह फेर लेना
गिरगिटों की तरह मवाली हैं रंग बदलते
बेवफ़ाओं की जुदाई का मातम देख लेना ,
बेवफ़ाओं की जुदाई का मातम देख लेना ,
नौमीद मत होना जहाँ आफ़री साथ तेरे
वारिस्ता होकर अपना मुक़ाम बना लेना
मयस्सर नहीं खुशियाँ उसे परलोक में भी
मरेगा वो तेरी ही मकरमत् पर जान लेना ,
मर्दों की नस्ल का है ईमान बड़ा ज़ाहिल
मेहरो-मुरव्वत से पहले जरूर जाँच लेना
रहमत ख़ुदा की होगी जहान की ख़ुशियाँ
खुद आँचल में आ गिरेंगी बात गाँठ लेना ।
नौमीद--हताश , जहाँ आफ़री--संसार रचने वाला ,
वारिस्ता --आजाद , स्वछंद ,मकरमत्--दया ,अनुग्रह ,
मेहरो-मुरव्वत--मेल,मुलाक़ात,
शैल सिंह
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