होली पर्व पर एक संदेश
ऋतुराज का आगमन
प्रकृति में नूतन परिवर्तन
भंवरे फूलों पर मंडराने लगे
नये फूल,पत्ते,वृक्ष इठलाने लगे ,
उमड़ी मादक सी अंगड़ाई
हर मानस रौनक छितराई
स्नेही वसंतोत्सव की बहार
मुरझाये मन को दी उपहार ,
आया होली का परम त्यौहार
बहे भीनी-भीनी फागुनी बयार
चलो रंगे हम रंगों के फूहार में
भींगे मन से मन के प्यार में ,
त्यागें मद और झूठे अहंकार,
वर्ण,जातिभेद का कर तिरष्कार
हास-परिहास,समरसता का पर्व ये
रंगों की बौछार उमंगों का त्यौहार ,
आनंद,उल्लास का ये त्यौहार
व्यंग्य,विनोद का ये त्यौहार
भूलें द्वेष,शत्रुता और सब विकार
ये एकता,मित्रता का त्यौहार ,
देश,समाज की सारी बुराई,
होलिका दहन में करें विसर्जित
सतरंगी मधुराई बरसाकर हम
करें लें सारी खुशियां अर्जित ,
भूलें आपसी कलह तकरार
भष्म करें ईर्ष्या और अहंकार
चलो हमसब करें आत्म परिष्कार
तोड़ें नफ़रत की खाई,दीवार ,
होली है बहु रंगों का त्यौहार
हर्ष,उमंगों,उल्लासों का त्यौहार
सभी जाति धर्मों का ये त्यौहार
रंगें प्रेम के रंगों में हम मन के तार ।
'शैल सिंह'
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