मेरी लाडो
मिले सपनों का शहजादा राजकुमार
कब दिन दिखायेंगे रब ज़िया बेक़रार ।
मेरी लाडो रानी के हाथों में मेंहदी रचे
पांव गह-गहबर महावर लगे लालसा
माड़ो आँगन छवे और मंगल गान हो
बजे शहनाई द्वार घर सजे लालसा।
एक सपना संवारा मन के आसमान पे
घर मिले वर सुदर्शन ऊँचे ख़ानदान के
ताकि चिंता ना फिकर करूँ कन्यादान पे
मेरी लाडो को मिले हर ख़ुशी जहान के ।
मर गई है भूख प्यास हर गई है निंदिया
नन्हीं मुन्नी सलोनी भई सयानी बिटिया
मन चैन ना दिन रैन क्या बताऊँ बिटिया
कैसा होगा दूल्हा राजा कब सगाई बिटिया।
मम्मी पापा कि दुलारी प्राण प्यारी लाड़ली
गर होता वश में रखती घर कुंवारी लाड़ली
भोली भाली मेरी कितनी तूं अनाड़ी लाड़ली
रीति दुनिया की निभानी हुई पाषाणी लाड़ली ।
भान कहाँ था अमानत ये पिया के नाम के
कहती बेटा सरीखे मेरी लाडो अभिमान से
जिसे नाज़ो से पाला रखा मान अभिमान से
सहना कितना दुःखदाई प्रिय जुदाई जान से।
रीति का अटूट कैसा यह अज़ीब दस्तूर है
कि बेटी होकर घर से पराई नजर से दूर है
रस्मों रिवाज़ के निर्वहन का यह कैसा समां
कि रोए दिल ज़ार-ज़ार तन से प्राण हो फ़ना।
शैल सिंह
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