भारत का युवा वर्ग जाग्रत हो
देश के नौजवानों में झंकार और हुँकार पैदा करने के लिए,जिसकी देश को आज सख़्त जरुरत है
जिन हौसलों में संसार बदलने के भाव निहित थे
एक समय था चारित्रिक चिंतन से युवा वर्ग ही
नई-नई घटनाओं को क्रियान्वित किया करते थे ।
प्रचंड तूफान,पराक्रमी मन होता था जिसका
जिस दृढ़ विश्वासी की उर्जा होती थी चक्रवाती
वो तेजस्वी,दुर्बल इतना कमजोर है आज क्यों
जिससे महान हस्तियाँ भी थीं कभी थर्राती ।
प्रायः विश्व को दिशा निर्देशित करने वाला
आश्चर्य ? स्वयं ही कलुषित कैसे हो गया है
युगनायक हिन्दुस्तान का युवा कर्णधार ही
आज सर्वहारा,दिग्भ्रमित कैसे हो गया है।
राष्ट्रीय विपन्नता की जड़ तक जाकर
प्रश्न का सार्थक हल निकालना होगा
दयनीयता,दुर्बलता,कायरता त्याग कर
भटकाव,चूक की जमीं तलाशना होगा ।
अपार शक्ति संग्रह का भण्डार कहाँ अब
नित आन्दोलित,उद्द्वेलित करती वो धारायें
जो सतत आलोक बिखेरा करती थीं भू पर
जिस दृढ़ विश्वासी की उर्जा होती थी चक्रवाती
वो तेजस्वी,दुर्बल इतना कमजोर है आज क्यों
जिससे महान हस्तियाँ भी थीं कभी थर्राती ।
प्रायः विश्व को दिशा निर्देशित करने वाला
आश्चर्य ? स्वयं ही कलुषित कैसे हो गया है
युगनायक हिन्दुस्तान का युवा कर्णधार ही
आज सर्वहारा,दिग्भ्रमित कैसे हो गया है।
राष्ट्रीय विपन्नता की जड़ तक जाकर
प्रश्न का सार्थक हल निकालना होगा
दयनीयता,दुर्बलता,कायरता त्याग कर
भटकाव,चूक की जमीं तलाशना होगा ।
अपार शक्ति संग्रह का भण्डार कहाँ अब
नित आन्दोलित,उद्द्वेलित करती वो धारायें
जो सतत आलोक बिखेरा करती थीं भू पर
बौद्धिक चिन्तन में लिप्त वो नितान्त सभायें ।
भय,भ्रम से पहले वज्र के समान था दम जिसमें
परिस्थितियों का रुख मोड़ दिया करते थे जो
भय,भ्रम से पहले वज्र के समान था दम जिसमें
परिस्थितियों का रुख मोड़ दिया करते थे जो
संगठित युवावर्ग ही एकमात्र घटनाओं का
सर्वत्र ज्वलंत प्रतिनिधित्व किया करते थे जो ।
जागो राष्ट्रहित के लिए विश्व शांति के लिए
जगत आप्लावित करने कालचक्र घूमकर आयेगा
बिखरी इच्छाशक्ति में पुनः समन्वय लाकर देखो
विश्वास है उन्नति का महान अवसर भी आयेगा ।
दुःख आतंक से जलता जन संसार तुम्हारा
निमग्न निद्रा में निर्भयता से कैसे सो लेते हो
आँखें खोलो हृदयभेदी करुण आर्तनाद सुनो
दृष्टिपात करो चौमुख ,देखो क्या खो देते हो ।
अखण्ड भारत के हो तुम्हीं उज्जवल भविष्य
तेजस्वी,दृढ़ निश्चयी,विश्वासी, प्रहरी वीर्यवान
जागो राष्ट्रहित के लिए विश्व शांति के लिए
जगत आप्लावित करने कालचक्र घूमकर आयेगा
बिखरी इच्छाशक्ति में पुनः समन्वय लाकर देखो
विश्वास है उन्नति का महान अवसर भी आयेगा ।
दुःख आतंक से जलता जन संसार तुम्हारा
निमग्न निद्रा में निर्भयता से कैसे सो लेते हो
आँखें खोलो हृदयभेदी करुण आर्तनाद सुनो
दृष्टिपात करो चौमुख ,देखो क्या खो देते हो ।
अखण्ड भारत के हो तुम्हीं उज्जवल भविष्य
तेजस्वी,दृढ़ निश्चयी,विश्वासी, प्रहरी वीर्यवान
तुम्हारे लौह नसों फौलादी स्नायु युक्त किशोर
सुदृढ़ कंधों पर है देश का टिका कमान ।
सुदृढ़ कंधों पर है देश का टिका कमान ।
भटकी पगडंडियों पर मंजिल नजर नहीं आयेगी
भ्रम भटकन की ऐसी कौन सी विषाक्त गहराई है
सत्यानाश,सर्वनाश के कगार पर खड़ा अकर्मण्य
चेत ले बल ,पुरुषार्थ ,छात्र वीर्य तेरी ये तरुणाई है ।
प्रलय मचा देंगी ,धधकती आग ना ठंडी होने देना
शक्ति एवं उर्जा का प्रचण्ड तूफान उमड़ने देना
वीर नौजवां जागो राष्ट्र के और जगाओ जग को
आज़ादी के मतवालों जैसा फूँक दो उसी मंत्र को ।
जिन भावों की सरिता सतत प्रवाह बहा करती थी
पावन स्पर्श से तृषित हृदय तृप्त हुआ करता था
उन पावन भावनावों की गंगोत्तरी कैसे सुख गयी
भ्रम भटकन की ऐसी कौन सी विषाक्त गहराई है
सत्यानाश,सर्वनाश के कगार पर खड़ा अकर्मण्य
चेत ले बल ,पुरुषार्थ ,छात्र वीर्य तेरी ये तरुणाई है ।
प्रलय मचा देंगी ,धधकती आग ना ठंडी होने देना
शक्ति एवं उर्जा का प्रचण्ड तूफान उमड़ने देना
वीर नौजवां जागो राष्ट्र के और जगाओ जग को
आज़ादी के मतवालों जैसा फूँक दो उसी मंत्र को ।
जिन भावों की सरिता सतत प्रवाह बहा करती थी
पावन स्पर्श से तृषित हृदय तृप्त हुआ करता था
उन पावन भावनावों की गंगोत्तरी कैसे सुख गयी
जिसमें डूबा मन आनन्द से सराबोर हुआ करता था ।
सुख-चैन छिना मुल्क़ का घातक विष ने
आतंकवाद का दशकों से दंश झेल रहे हैं
विवश खड़े नपुंसक बन सारा मंजर देखें
दहशतगर्द बेख़ौफ़ खूनी खेल हैं खेल रहे ।
सुख-चैन छिना मुल्क़ का घातक विष ने
आतंकवाद का दशकों से दंश झेल रहे हैं
विवश खड़े नपुंसक बन सारा मंजर देखें
दहशतगर्द बेख़ौफ़ खूनी खेल हैं खेल रहे ।
खण्ड-खण्ड होती एकता अखंडता राष्ट्र की
पाखण्डी राजनीति के भोथरे टुच्चे औजारों से
वैचारिक बहसों के अकाल में स्वप्न नदारद
आरोपों-प्रत्यारोपों , धर्मनिरपेक्षता के वारों से ।
आतंकी ताबड़तोड़ क़हर ने जनाक्रोश उभार दिया है
विचारक्रांति की जला मशालें जन अभियान चला है
अभिनव समाज नूतन भारत की हुई बुलन्द आवाज
बौखलाया राष्ट्र का हर युवा आत्ममंथन ज्ञान चला है ।
पाखण्डी राजनीति के भोथरे टुच्चे औजारों से
वैचारिक बहसों के अकाल में स्वप्न नदारद
आरोपों-प्रत्यारोपों , धर्मनिरपेक्षता के वारों से ।
आतंकी ताबड़तोड़ क़हर ने जनाक्रोश उभार दिया है
विचारक्रांति की जला मशालें जन अभियान चला है
अभिनव समाज नूतन भारत की हुई बुलन्द आवाज
बौखलाया राष्ट्र का हर युवा आत्ममंथन ज्ञान चला है ।
गंगा जमुनी तहजीब ऋषि मुनियों की तपोभूमि पर
आँख दिखाने वालों सुनो कांचें निकाल हम लेंगे
अपनी सरहद की हद में रहना सिख लो वरना
हदें तोड़ सैलाब उमड़ जायेगा प्रलय मचा हम देंगे ।
हर मज़हब के खुश लोग यहाँ सर्वधर्म,सद्दभाव यहाँ
एकता,विविधता को ग्रहण लगा नजर लगी किसकी
अपनी सरहद की हद में रहना सिख लो वरना
हदें तोड़ सैलाब उमड़ जायेगा प्रलय मचा हम देंगे ।
हर मज़हब के खुश लोग यहाँ सर्वधर्म,सद्दभाव यहाँ
एकता,विविधता को ग्रहण लगा नजर लगी किसकी
राजनीति की कपट कुचालें सम्प्रदाय का विष फैला
जाति,वर्ग द्वेष में मुल्क़ बाँटते किसे फ़िकर इसकी ।
जाति,वर्ग द्वेष में मुल्क़ बाँटते किसे फ़िकर इसकी ।
निज का महामोह त्याग अज्ञजनों के लिए जलें जियें
मानव कल्याण हेतु महानिद्रा को जाग्रत करना होगा
सारी सीमाएं तोड़ हमें महाकाल का महासंकल्प कर
मानव जन्म सफल कर महापरमार्थ पर चलाना होगा ।
हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई हम कुटुम्ब एक भवन के
राष्ट्र की मजबूत चिनारों में महफ़ूज ये फूल चमन के
सुगन्धि,सुरभि,समरसता कहाँ वातायन से चली गयी
पहचान भारत की शान अस्मिता किससे छली गयी ।
समूह शक्ति के तल पर,नेतृत्व संघशक्ति के बल पर
निजता निछावर कर यह राष्ट्र समर्थ-सशक्त बनाना है
विचार क्रांति का विराट् स्वरूप,जज्बा जोश जगाना है
मिशन है युग परिवर्तन लाना है विश्व को ये दर्शाना है ।
'शैल सिंह '
मानव कल्याण हेतु महानिद्रा को जाग्रत करना होगा
सारी सीमाएं तोड़ हमें महाकाल का महासंकल्प कर
मानव जन्म सफल कर महापरमार्थ पर चलाना होगा ।
हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई हम कुटुम्ब एक भवन के
राष्ट्र की मजबूत चिनारों में महफ़ूज ये फूल चमन के
सुगन्धि,सुरभि,समरसता कहाँ वातायन से चली गयी
पहचान भारत की शान अस्मिता किससे छली गयी ।
समूह शक्ति के तल पर,नेतृत्व संघशक्ति के बल पर
निजता निछावर कर यह राष्ट्र समर्थ-सशक्त बनाना है
विचार क्रांति का विराट् स्वरूप,जज्बा जोश जगाना है
मिशन है युग परिवर्तन लाना है विश्व को ये दर्शाना है ।
'शैल सिंह '
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