संदेश

दिसंबर 28, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नव वर्ष पर शुभकामनाएं

मह-मह महके फूलों सी जीवन की बाग सर्वदा  खुशियों का अनमोल उपहार नव वर्ष ले आना  रहें हम सब जीवन भर सुखमय खुशहाल सदा  सौगातों का अंबार नव वर्ष आंजुरी भर लुटाना । गुजरा साल पुराना,नूतन साल तेरा अभिनन्दन  खट्टी-मीठी यादों संग करें गुजरे साल को वंदन  नई किरण नये उम्मीदों संग करते सत्कार तेरा  जोशो,उल्लास से स्वागत करते नया साल तेरा । किस्मत के ताले खोल गुलशन में फूल खिलाना नई चेतना नई स्फूर्ति भर दशों दिशाएं महकाना मन में संजोए सपने अंतर में छिपी अभिलाषाएं  तेरे मार्गदर्शन में फलीभूत हों देना शुभकामनाएं । नव वर्ष का ऐसा हो शुभारंभ देश का हो उत्थान  मानवता का कल्याण हो पूर्ण सबके हों अरमान  निर्भयता का चमन रहे हर्षित हो सबका अंतर्मन  कण-कण मुस्काए बसुधा चतुर्दिक शान्ति अमन । शैल सिंह  सर्वाधिकार सुरक्षित 

अधुरा प्रेम

तुम संग रेखाओं में परिणय लिखा या नहीं  ये पता तो नहीं था मन से मन के मिलन में  कितने सपने सलोने संजोए हमारे नयन थे  रिश्ता स्वाहा हुआ ग्रह कुण्डली के हवन में ।  पीकर अश्रुओं को रश्मों के दस्तूर निभाना  किसी के नाम की मेंहदी मौन साधे रचाना  निर्जीव देह की भीत हल्दी चंदन लगवाना  कितनी त्रासदी से गुजरी किसी ने न जाना । कहीं रूसवा ना हो पावन प्रेम मेरा तुम्हारा  प्रतिष्ठा मान की दुहाई हृदय असहाय हारा  श्रृंगार तन पे सजा मन की देहरी सूनी रही  बेगाना आलम ना जाना तड़पती रोती रही ।  मजबूरियों की शिला पर लिख रही दास्तां  विवशताओं की बेड़ियां जकड़ी रहीं रास्ता  रो उठा आईना भी देख नैनों में चेहरा तेरा  कैद पिंजरा में फड़फड़ाता रहा परिंदा तेरा । की हजारों जतन कोई युक्ति आई ना काम  तमन्ना थी मिलन की पर वह आई ना शाम  कितने पैग़ाम भेजी ख़त तमाम लिख भेजे  ख़त तो आये बहुत कोई मेरे आया ना नाम । एक अजनबी के संग बंधी डोर ज़िंदगी की  ना ही तेरी ना मुक़म्मल हो सकी किसी की  भले न की गदर ना जीत सकी मुश्किलों से ...