रविवार, 10 सितंबर 2017

किसी की शायरी, कविता का जवाब मेरे भाव में

 किसी की शायरी, कविता का जवाब मेरे भाव में

                  ( १ )

यहाँ धरती की सारी वस्तु सारे मकान मेरे हैं
ये हिन्दूस्तान मेरा है बता दे जा कोई उसको
वोे किरायेदार हैं तो रहें किरायेदार की तरह 
रास्ता बाहर का भी बता दे जा कोई उसको ,   

हमारे बाप तक न पहुँचें हम तक रहें अच्छा  
भलमनसाहत यही कि इन्हें बर्दाश्त करते हैं
जो असुरक्षित यहाँ पर जिनकी सांसें है बन्दी
वो कहीं जा ठिकाना ढूंढ लें आगाह करते हैं ,

ज़ुबां कैंची सी चलती एहसानफ़रामोशों की
अरे जान हथेली पर तो हम लोगों की ग़द्दारों 
अलग-अलग वस्तियां हमारी और तुम्हारी हैं
न ज़द में हैं न रहते हैं विश्वासघातों के ग़द्दारों 

सब मिल बांट रहें ग़र समझें देश को अपना
ना कोई दुश्मन यहाँ उनका न जान खतरे में
हमारी घर-गली में रहके,जमाते धौंस हमी पे 
बोलें तोल शब्दों को मत घोलें झाल मिसरे में ।
                                      
           ‌             ( २ )

उँगलियाँ झूठी नहीं ऊठतीं,न हवा में तीर छूटता है
खिलाफ़त क्यों तेरे दुनिया,जरा पड़ताल तो कर ले ,

ग़र होती खूँ की बूँदें मिट्टी में,जुबां कड़वी नहीं होती
घाती कौन,किसका ख़ौफ़ ,पता घड़ियाल तो कर ले ,

बासिन्दे कहाँ के तुम,क़लमें किस मुल्क़ के हो गढ़ते 
रहते क्यों शक़ के दायरे में,ज़िरह ज़ल्लाद  तो कर ले ,

पोंछो गर्द चश्मों की,औ देखो बिरादरी का वहशीपन
आँखें अंँधी हैं कि बहरे कान,तस्दीक़  हाल तो कर ले ,

ग़र बन्दिशें हैं तेरी सांसों पे,यहाँ महफूज नहीं ग़र तूं
जमीं ज़ल्दी छोड़ देने का फ़ैसला,तत्काल तो कर ले ,

इक भूल का ख़ामियाज़ा भुगत रहा देश आज तक
चला जा पाक नमक हराम वहाँ खुशहाल तो रह ले ,

जिसका दिल हिन्दूस्तानी स्वागत दिल से हम करते
ग़द्दारों  कैसा हो सुलूक बिचार फिलहाल तो कर ले ।

                                                    शैल सिंह
               

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