शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

एक सिरफिरा

     एक सिरफ़िरा 

लड़का ---

जुल्फ़ों के घुँघर पेंच ना रुख़ पर गिराइए
गेसुओं तले ना चाँद सा मुखड़ा छिपाइए 
लत लगी नज़र को क्या नज़र है आपकी 
बला की इस अदा से ना बिजली गिराइए । 

छुप-छुप के मेरे ख़्वाब ना दिल के चुराइए 
ना बन के खुश्बू ख़्वाब के सिरहाने आइए 
क्या हुश्न का जलवा क्या शक़ल है आपकी 
ऐ अज़ीज ना इस फ़न का दीवाना बनाइए । 

लड़की --

कसम ख़ुदा की आपके जज़्बात को सलाम 
होश फ़ाख़ता हो जाये न सुन मेरा ये कलाम
नज़ीर बेमिसाल रब की हूँ होगा बुरा अंज़ाम  
हुज़ूर दिल के इस हरिना को लगाइये लगाम ।

निग़ाहों की तीखी बरछी ना मुझपर चलाइये   
इल्तज़ा है ज़नाब हनक से घर पर आ जाइये 
गुरू ख़िदमत से होगी खूब हज़ामत आपकी  
आकर पापा से आशिक़ी का भूत उतरवाइये। 

बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...