शनिवार, 20 जनवरी 2018

दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले विलुप्त हो गये जो शब्द

'' जिन शब्दों को सिरे से भूल गए ''


थपुवा,नरिया,खपड़ा,मड़ई,टाठी,भीत 
गोईंठा,कंडा,कर्सी,इन्हन,चिपरी,छान्हीं
गोहरऊला,कोल्हुवाड़ा,खरिहान,मचान 
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

सनई,संठा,खरहरा,झंगड़ा,हरेट्ठा,सोटा 
छिट्टा,खाँची,फरुहा,बरदउल,भुसहुला 
घूर,कतवार,पण्डोहा,बढ़नी,सेनहना, 
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

कुरुई,मउनी,डाली,सूप,ओसउनी
माठा,कचरस,होरहा,खरवन,लउनी
दाना,चबैना,कुचिला,भुकूनी,भरसांय
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

ढील,उड़ुस,मस,लीख,चिल्लर,किलनी
चइला,फल्ठा,लवना,खोईया,खुखूड़ी 
रेह,रहंट,मोठ,हेंगीं,ढेकुल,लेहड़,घाम 
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

कड़िया,ढेकी,पहरूवा,ओखरी,मूसर
जांता,चाकी,सील,लोढ़ा,थुन्ही,कोतर 
गोड़,मूड़ी,केहुनी,कर्हियांय,कपार 
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

बीड़ो,बोरसी,धुईंहर,कउड़ा,भुकुरी 
पहल,पोरा,कोठिला,शुज्जा,टेकुरी
कन,भूसी,चूनी,चोकर,जुठहड़,पिसान
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

कोठा,ताखा,भड़सर,दिवट,भड़ेहरी
टोड़ा,मुड़ेरा,ओरी,करनी,धरन,बल्ली
गदबेला,मकुनी,डुग्गी,सतुवान,नेवान 
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

भरूका,कोहा,मेटी,कुण्डा,ढकनी
दीया,परई,कंहतरी,ठिल्ला,मटकी
शईल,जाबा,जुवाठ,कोईड़ार,मचान
ये सब उच्चारण जाने खो गए कहाँ ।

जाने और भी कितने ही ऐसे शब्द हैं
जो प्रयुक्त होते थे अब छोड़ दिए हैं।

                             शैल सिंह

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