रविवार, 20 नवंबर 2016

अकेलेपन में ख़ुशी की तलाश

अकेलापन भी एक एकान्त साधना है
एकान्तमिकता की मौनता भी अबूझ है
मन को कहाँ से कहाँ भटका ले जाती है
यही एकान्तमिकता कवि मौन मन को
मुक्त रूप से कवितायेँ रचने के लिए शब्दों
की समाधि में लीन कर उदासी को कविता
कहानियों के संसार में ले जा जीवन का
सार सिखा ,जता ,बता देती है । वीतरागी
मन के लिए ,छीजती हुई जिंदगी के लिए
एकान्त किसी विलक्षण औषधि से कम नहीं ,
यही कारण है कि एकान्त वास में मैं अपने
अकेलेपन और उदासी के उत्सव को ,मन रमा
कविताओं की विभिन्न विधाओं में मना लेती हूँ ,
मन होता विराट फ़लक पर रच डालूं ,उदासी
के क्षणों में हुए चुप्पी के करुणा का सागर ,मन
की कातर विह्वलता का संसार ,विलक्षण अनुभवों
का बहाव जिसका माध्यम सारे दर्द की दवा बन
जाये। कभी-कभी तो जैसे शब्दों का अकाल सा
पड़ जाता है ,मन का उद्वेलन व्यक्त करने
के लिए भाव होते हुए भी शब्द विलीन हो
जाते हैं ,भाषा करवट ले ले उकताती है पर
शब्द साथ नहीं देते और फिर निराशा जन्म
लेकर गहन उदासी पैदा कर देती है । ये शब्द
भी क्या धूप-छाँव का खेल खेलते हैं कभी तो
उबार लेते हैं अपनी अमूल्य निधि की ताक़त से
और कभी साथ न देकर विचलित कर देते हैं
रचनाओं के धरातल से । एकान्त ,अकेलापन और
उदासी भी एक अलग ऊर्जा की जमीं तैयार
करते हैं ,जिसमें होता है विशाल सोचों का भंडार
जो देती है किसी भी चीज के विश्लेषण की
क्षमता का अकूत साधन ,कल्पनावों का आसमान ,
अकेलेपन को कोसने से बेहतर है तन्हाईयों में
जिंदगी का उत्सव मना लेना ,स्वरूप जो भी हो ।
हरा-भरा संसार बिखरा-बिखरा ,एक दूजे से दूर
परिवारों का बिखरना ,रोजी-रोटी की जुगत में
घर-गांवों से लोगों का पलायन ,सभी अपने
आप में तनहा अकेले ,आज का जीवन ऐसा ही है ,
इसी में तलाशना है जिंदगी ,जिंदगी के सारे पहलू ।

                                             शैल सिंह






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