शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

देखो अश्रु की धारा

देखो अश्रु की धारा


दुश्मन पतित बाज ना आएगा
कभी भी अपनी बेशर्मी से
जला दो शत्रुओं की लंका
लहू की ख़ौलती गर्मी से ,

इतिहास के पन्नों में होगी दर्ज़
वीरों तुम्हारे शौर्य की गाथा
चुका दो क़र्ज़ निभा कर फ़र्ज
चूमें माँ भारती गर्व से माथा ,

इक बलिदानी की विधवा
तुझसे ही न्याय है मांगे
शहीदों के यतीम बच्चे भी
तुझसे ही इंसाफ़ हैं मांगे ,

उन माँ-बाप के आँखों में देखो
अश्रु की बहती अविरल धारा
जिनने अपने ज़िगर का टुकड़ा
वतन की आन-बान पर वारा ,

कोई बांका वार ना जाये खाली 
रायफ़ल की दुनालों का
हो तुम तो बहादुर वीर सिपाही
मिटा दो नाम नक़्क़ालों का ,

गिन-गिन शहादतों का तुम्हें अब  
वीरों ज़ल्द इंतक़ाम लेना होगा 
तुम्हें क़सम भारत माता की
बैरियों का सर क़त्लेआम करना होगा ,

घर के गद्दारों का भी है ख़तरा
कहीं कम ना आंकना शमशीरों
पैलटगन भी संभालन कर रखना
तुम अपनी भी सुरक्षा में शूरवीरों ,

हायतौबा मच जाये भले ही 
इसका ग़म नहीं है करना
क़ौम के संग तुम्हारे सभी लोग
बांध लो गिरह नहीं है डरना ।

                    शैल सिंह

बुधवार, 24 अगस्त 2016

फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि

   फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि


मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी ,बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी
होशो-हवास उड़ा,उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

प्राचीर से लाल किले ने फोड़ दी है चिंगारी
पाकिस्तान में धुवां उठ रहा सुलग-सुलग जल रहा नर संहारी
पड़ गया उल्टा पासा भारी ,ईंट को मार पत्थर ने दी करारी
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी ,बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी
होशो-हवास उड़ा,उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

दिखा आईना गिलगित,बल्टिस्तान का ठोंका '' पीओके '' पे दावा 
ज़ालिमों हमने सहा है घाव बहुत फूट रहा भीतर का लावा
खुद के ही जाल में फंसा मदारी ,आगे देखो क्या सुलूक हमारी 
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी , बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी
होशो-हवास उड़ा,उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

अभी तो केवल गरजे हैं जब बरसेंगे फिर क्या होगा
बदल दिया रक्षात्मक रवैया देखना अब तेवर का रंग क्या होगा
करेंगे सिट्टी-पिट्टी गुम तुम्हारी ,हुई आक्रामक नीति हमारी 
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी ,बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी
होशो-हवास उड़ा,उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

जम्मू-कश्मीर का राग ना छेड़ो गुलाम कश्मीर भी हम लेंगे हथिया
अपने घर की आग बुझा तूं बेमतलब उधेड़ा ना कर बेतुकी बखिया
नक्शा विश्वपटल पे कर दिया जारी, देख तूं अब उल्टी चाल हमारी
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी ,बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी
होशो-हवास उड़ा,उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी,

नम्रता नरम बरतना छोड़ दिया तेरे बार-बार उकसाने पर
चीन-फीन के बल पर रहा उछल तूं ठान लिया है मजा चखाने पर
धूर्त किया तूं कितनी बार गद्दारी ,कीमत चुका दोहन की भारी
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी , बंध गई घिग्घी गिद्धों की  सारी
होशो-हवास उड़ा,उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी,

तूं कपटी अन्याय का पोषक हम शांति अमन के दूत
हम भारत माँ के महान सपूत तूं पापी पाक का पूत कपूत
आतंक की फैलाता है महामारी ,देख तेरा क्या होगा हाल शिकारी 
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी , बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी
होशो-हवास उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी,

कभी भी अपनी दोगली हरकत से जब बाज नहीं तूं आया
साम,दाम,दंड पड़ा अपनाना तब ऊंट पहाड़ के नीचे आया
ज़ुल्म-जिहाद-सितम का पुजारी ,बनता कश्मीरियों का हमदर्द भिखारी
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ,

मोदी कर दिए ऐसी कारगुजारी ,बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी
होशो-हवास उड़ा,उड़ी है नींद बिचारी ,फट गई ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाया कि ।
बंध गई घिग्घी गिद्धों की सारी 
                                                                     

बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...