गुरुवार, 31 अगस्त 2017

बेटियों पर कविता,अँधेरों को कर ना दें बेपरदा ख़ामोशियाँ मेरी

बेटियों पर कविता

अँधेरों को कर ना दें बेपरदा ख़ामोशियाँ मेरी 


हमें अम्बर को छूना जी खोलो बेड़ियाँ मेरी
जोश के पर पे उड़ने को बेचैन परियां मेरी 
लहरों का नज़ारा बैठ साहिल पर देखें क्यों 
भंवरों से करें अठखेलियाँ दो कश्तियाँ मेरी ,  

दे दो हक़ हमें भी,आजादी हमें भी मर्दों सी
ग़र मज़लूम ना होतीं न लगतीं बोलियां मेरी 
उड़ना हमें भी हवाओं में उन्मुक्त पाँखी सा 
अस्मत की ना खायें नोंच दरिंदे बोटियाँ मेरी ,

हमें खुल कर सांसों को लेने की इजाज़त दो
करतब खूब दिखाएंगी हुनरमंद बेटियाँ मेरी 
नहीं होना उत्सर्ग कनक पिंजरों के वैभवों में
बग़ावत पे उतर ना जायें कहीं दुश्वारियां मेरी ,

ख़ुद को जला घर के अँथेरों को किया रौशन 
किरण बाहर भी बिखरानी फैलें रश्मियाँ मेरी 
अबला और ना बन देनी हमें हैं अग्निपरीक्षाएँ 
अँधेरों को कर ना दें बेपरदा ख़ामोशियाँ मेरी , 

ख़ुद चमकूँ जुगुनू सा मैं दे दूँ चाँद को भी मात
बातें करें गगन के तारों से मुख़र हस्तियाँ मेरी 
खोलूं मन के परत का पुर्ज़ा आवाज उठाने दो 
घायल मन के हंसा की दिखाऊँ झांँकियां मेरी ,

क़तर के डैनों को रखा है रस्मों की तिज़ोरी में
बंधन तोड़ें रस्मों-रिवाज़ के दे दो कुँजियाँ मेरी 
परवश सृजन की कलियाँ हृदय में मचलती हैं 
सुलग ज़िद्दी ना उफ़नायें दबी चिनगारियाँ मेरी । 

                                         शैल सिंह 

                                   


सोमवार, 28 अगस्त 2017

कविता -ढोंगी बाबाओं पर व्यंग्य

ढोंगी बाबाओं पर व्यंग्य

आओ बच्चों तुम्हें सिखाएं,
सम्पत्ति अर्जित करने के नायाब तरीके,

झऊवा जैसे बाल बढ़ा लेना ,
छुट्टे बकरे के पूंछ सी झबरी दाढ़ी
राम-रहीम का तमग़ा लटका
लीला करना बनकर खूब मदारी,

जर,जोरू,जमींदारी अनुयायी तेरे
देखना सारी ज़ागीर लुटा देंगे
बहन,बेटियों के अस्मत की भी
देखना अंधभक्त बन्दे बाट लगा देंगे,
 
साध्वियों,सन्यासिनियों पर डोरे डालना
लेना पड़े भले ही दो चार दस पंगे
ग़र कोई करेगा बुलंद ख़िलाफ़ आवाज़ 
तो मुर्ख अशिक्षित लेकर लाठी डन्डे,

विरोधियों,प्रशासन पर पिल पड़ेंगे
वानर सेना सा तेरे पाले पागल ये गुंडे
नागिन डांस करेंगे तेरे लिए अंधभक्त ये ,
डाल कर खुली आँखों पर पर्दे,

राष्ट्रीय सम्पत्तियों को तहस-नहस कर
प्रशासन के विरुद्ध रोष जताएंगे
भक्ति के मद में डूबे ओ नकली ढोंगी 
तेरे लिए ये मौत को भी गले लगाएंगे,

नपुंसक तो सबसे पहले बनाना  
अपने सेवकों और सेवादारों को
हैसियत और रुतबे की धौंस दिखा
धमकाकर रखना भक्त परिवारों को,

खुद को ईश्वर का साक्षात् अवतार बता
कुकर्मों से मस्त बनाना अंधियारों को   
धर्म की आड़ में अधम,निशाचर,पापी बन
भक्तों में भरना कुत्सित बिचारों को,

आओ बच्चों तुम्हें सिखाएं,
सम्पत्ति अर्जित करने के नायाब तरीके

मन में मक्कारी बगल कटारी वाला
बन जाना नकली बाबा कारोबारी
रंगीन बनाना हर रात ऐशगाह की
द्वारे बैठा इक स्वामिभक्त दरबारी,

तन जोकर,बहुरुपिये सा लिबास धार 
बिछा लेना भड़ुवाई का मायाजाल
लम्पट प्रवचनों की कर बौछार भक्तों पर
धुऑंधार,मचाना खूब धमाल,

ब्रह्मचारी का चोला पेन्हकर
भक्तों को मुर्ख बना धूल झोंकना आँखों में
उल्लू सीधा करना जो होगा देखा जायेगा 
उलझाए रखना मूर्खों को बातों में,

जादू से जल में पूड़ी तलना आदि 
अपनाना जितने भी हों ढोंगी हथकण्डे
लाखों करोड़ों भींड़ को खूब भरमाना
कि हो जायें फेल असली पूजारी पण्डे,

ईश्वर सज़ा मुक़र्रर तभी करेगा
जब पाप का घड़ा आकण्ठ भर जायेगा
फिर तबतक जेल में चक्की पिसना जब-तक 
उम्र,ऐश का रसिक मिजाज नहीं ढल जाएगा,

होगी दादागिरी फुस्स,फिसड्डी बनकर
मौत के दिन गिनना सलाखों के पीछे
गवाहों के बयानात खुलेंगी पोल पट्टियाँ
कैसे-कैसे खूब चलाते थे काले धन्धे,

साथ चेले चपाटी भीड़ ना होगी
बूरे वक़्त में जपना हर-हर गंगे
होगी प्रायश्चित की भी नहीं आग नसीब 
नकली बाबा क्योंकि हो गए अब तुम नंगे। 
 

                                     शैल सिंह

बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...