शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

हे प्रभो

हे प्रभो 



आस्था श्रद्धा की अविरल बौछार प्रभो
जलधार समझ कर पी लेना ,

मेरी निष्ठा,नैतिकता,पुनीत कर्म को प्रभो
अगर,अक्षत गंध बना लेना ,

मेरी साधन क्षमता ही तेरा नैवेद्य प्रभो
सम्पदा का चन्दन घिस लेना ,

करुणा दया सद्दभाव समझ भोग प्रभो
सद्द्गुणों का दीप जला लेना ,

चरण रज सामर्थ्य का पुष्प अर्पित प्रभो
अनुकम्पा असीम बरसा देना ,

अस्तित्व तेरा जग में है अन्तर्यामी प्रभो
अद्वैत चमत्कार दिखला देना ,

मन का मनोरथ तिरोहित कर देना प्रभो
विश्वास बलवान बना देना ।
                                                   शैल सिंह 

जाने क्या हश्र हो

जाने क्या हश्र हो 


ओ मेरी गुड्डी,तारा,मैना,राना
ना अँखियों में ख़्वाब सजाना 
सात समन्दर के उस पार का 
धोख़े फ़रेबी नीरस संसार का ,

सब्ज़बाग के कितने रंग दिखा
ले जायेंगे बहेलिये बहला कर 
मक़सद हासिल कर देंगे छोड़ 
हाशिये पे बदनसीब बेहाल कर ,
                                
बजेगी शहनाई द्वारे ढोल नगाड़े 
भाड़े के टट्टू आएंगे बाराती सारे
विश्वास छलेगी छल भरी दुनिया 
ठगे से मलेंगे हाथ हितैषी बिचारे ,

इतनी बेताब ना हो अरे बालाओं 
विदेश की सैर लिए कर पीले हाथ 
जाने क्या हश्र हो मंजिल पर तेरी 
पता चलेगा ख़्वाब बिखरने के बाद  , 

किससे करेंगी बयां हाले-दिल शैल
सब अवरुद्ध मार्ग जब हो जाएंगे
चमक-दमक दम घोंटू आबो-हवाएं
निगलेंगी अपने भी पराये हो जाएंगे ,

जब असलियत का होगा पर्दाफ़ाश 
क्या होगा तूफानों में घिर जाने पर 
निष्ठुर परदेश भी देगा दगा गुड़िया  
क्या होगा सामां समूल खो जाने पर ।   

                                                शैल सिंह 

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

उनका कोई मुझे पता दे

उनका कोई मुझे पता दे


काशी क़ाबा,मंदिर-मस्ज़िद औ 
अज़ान कुरान सब देख लिया
शंख-घंटियाँ,पूजा-पाठ,गीता ग्रन्थ,
वेद पुराण सब देख लिया
दान-पुण्य कर पितृ पिण्ड दान कर 
चारों धाम सब देख लिया
कर्म प्रधान है फल देंगे भगवान 
कर श्रमदान सब देख लिया
कहाँ गए ईसा,रहिमन,राम 
सबका भज नाम सब देख लिया
कहाँ है अगम अगोचर अन्तर्यामी का 
ग्राम आकर कोई मुझे बता दे
लिख भेज दूँ मन की सारी दास्तान 
उनका कोई मुझे पता दे ।
                                                                    शैल सिंह 

मंगलवार, 9 सितंबर 2014

इंतज़ार कीजिए

इंतज़ार कीजिए


बदल रही है आबो-हवा,फ़िज़ा मेरे देश की
जल्द ही आएंगे अच्छे दिन इंतज़ार कीजिए

भूखमरी मिटेगी ग़रीबी भी दूर होगी देश की
ज़ीस्त में सबके आएगी बहार इंतजार कीजिए

इक दिन मुल्क़ होगा रौशन अमन के चराग़ से,
जुल्मों-सितम की ढहेगी दीवार इंतजार कीजिये ,

ना होंगे आँख में आँसू किसी मजबूर,बेबस की
दौर आएगा ऐसा भी बरखुरदार इंतजार कीजिये ,

जमीं उगलेगी सोना सौ गुना खेती लहलहाएगी
खिलेंगे फूल ख़ुशी के उर के द्वार इंतजार कीजिये,

ना ही कोई आँख तरेरेगा ना सहेंगे धौंस किसी की
अजी करेंगे दुश्मनों को खबरदार इंतजार कीजिये,

हमारे लुत्फ़ो-करम के आधीन नत विश्व भी होगा
कभी सुनेंगे बुलेटिन पर समाचार इंतजार कीजिये ,

अभी तो हुए हैं बस जुम्मा-जुम्मा चार दिन ज़नाब
ना कीजिये इतने प्रश्नों की बौछार इंतजार कीजिये ,

जिसके आवाज़ में जादू अंतर्मन छू लें जिसके भाव
देश को मिला ऐसा नगीना दमदार इंतजार कीजिये ,

                                                                        शैलसिंघ 

बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...