बुधवार, 26 दिसंबर 2012

''हिदुत्व वादी धारा के अटल जी''

हिदुत्व वादी धारा के अटल जी

हिन्दू तन-मन हिन्दू धर्म का
सम्मोहन सबमें अब जागा है
देश प्रेम का ज्वार ना जिसमें
वह  कितना बड़ा अभागा है।

मातृ भक्त  वह  धन्य  पुरुष
जो दिव्य  ज्ञान है दान मिला
घट-घट  विष पी अमर हुआ
जग को अमृत का पान पिला । 

किसने  ज्ञान प्रदीप जलाकर
निशा   पंथ  में  किये  उजाले
किसने सोते   से  झिंझोड़कर
भटके मन  को कहा जगा ले। 

किसने माँ की कसम दिलाकर
पापी   पौरुष    को   धिक्कारा
धर्म,सभ्यता,संस्कृति,संस्कार की
अलख   जगाने   को  ललकारा। 

किसमें  सूली   के  पथ चलकर
है   निश्चय   का   प्रचंड  ज्वाल
किसको कहने में शर्म ना आती
हम  हिन्दू  हैं हिन्द  के   लाल। 

जीवन    की   संकरी  गलियों  से
जिसने,इतने अनुभव आज बटोरे
उसकी    पारदर्शिता ,  पराकाष्ठा  
तोलें  आज   पापी   और  छिछोरे। 

किसने  माँ  के  सुख सुहाग में
सब निज  का तर्पण कर डाला
लक्ष्य  साधना के हवन कुंड में
अपना जीवन अर्पण कर डाला। 

तृष्णा छू ना सकी कृष्णा को
राम के संपोषक तुम्हें प्रणाम
रंग-रंग में राग भरा भक्ति का
राष्ट्र   संवर्धक   तुम्हें   प्रणाम। 
                                        शैल सिंह 

मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

जानें देश का हित किसमें

         जानें देश का हित किसमें 

मोदी-मोदी बस मोदी का लहर जगा है जाग गई है जनता
अब किस बात की देर भलाई सौंपो मोदी के हाथों में सत्ता,

पंथ,जाति,धर्म का कुष्ठ रोग मिटा,खुला बुद्धि विवेक का पत्ता
'विजय 'चरण चूमता कद्दावर मोदी का देकर विपक्ष को धत्ता,

इन्तज़ार लहरा रहा लाल किले पर हाथों मोदी के तिरंगा लत्ता
चेत लो अब से भी वरना बह जायेगा देश ये जैसे पानी में गत्ता,

दंगा,हिंसा करवाते राजनीतिक विरोधी लगता मोदी पर धब्बा
सांप्रदायिक,नकारात्मक पहलू दर्शाना देख रहा सच्चाई रब्बा,

एक जुट होगा वह दिन दूर नहीं अब जिस दिन देश का जत्था
करिश्माई,स्वच्छ,निराले नेता पर वर्ग विशेष भी टेकेगा मत्था,

बाकि है कसर थोड़ी यदि भ्रमित भाई भी रक्खें सिर पे हत्था
कर विपक्षियों को अनसुना दिल मिला लें जैसे पान में कत्था,

आशंका से घिरे बहकावे में बागीजन अंतर की सुनें अलबत्ता
किसमें खुद नजर आता दूरदर्शिता, स्पष्टता,दृढ़ता,प्रतिबद्धता,

फांस निकालो दिल से हो केवल तुम 'भारतीय' लिखा लो पट्टा
बहुमत से जीताकर देखो भाई इक बार लगा लो ऐसा भी सट्टा,

दल छोड़ सुर विरोधी राग छेड़,हुआ क्या ऐसा प्राप्त केशु बप्पा
इक दिन गुणगान करेगा नरेन्द्र मोदी का धरती का चप्पा-चप्पा ।
                                                                                            

शैल सिंह                                                


बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...