शनिवार, 7 जून 2014

'गोपीनाथ मुंडे की असामयिक निधन पर मेरी ये कुछ पंक्तियाँ'






'गोपीनाथ मुंडे की असामयिक निधन पर मेरी ये कुछ पंक्तियाँ' 

पल भर में ही ना जाने क्या से क्या हो गया 
      इस असामयिक निधन से देश स्तब्ध हो गया  
    लोकप्रिय मुंडे जैसा नेता चिरनिद्रा में सो गया 
अभी तो जीत का जश्न था उफान पर 
   दहला दिया मौत ने औचक तूफान कर 
गमगीन है माहौल आज देशवासियों 
    कोई नहीं ऐसा गम जिसे नहीं साथियों 
     कुदरत ने तोड़ दी पार्टी की कीमती कड़ी 
     श्रद्धांजलि में अर्पित आँसुओं की ये झड़ी 
       होनहार राज नेता पार्थिव शरीर हो गया   
         कैसी अपूर्णनीय क्षति देश अधीर हो गया । 
शैल सिंह 

बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...