सोमवार, 17 अगस्त 2015

'' अमर अब्दुल कलाम ''

  अमर अब्दुल कलाम 

तेरी सच्ची देशभक्ति तिरे किरदार को सलाम
सफ़र के नेक इरादों वाले तहे दिल से परनाम  ।

क़बा-ए-जिस्म छोड़ कर कब तस्वीर बन गया
हर जुबां पे अपने नाम का वो कलमा गढ़ गया
कली,फूल रो रहे बिछड़ तुझसे माहताब सितारे
समां,फ़िजां सदायें दे रहीं तुझे अहबाब तुम्हारे ।

हिन्दू चाहिए ना हिन्दुस्तान को मुसलमां चाहिए
तुझसा नेक दिल हिन्दोस्तां को रहनुमां चाहिए
जिसे जाति,घर्म ,किसी मज़हब से ना हो राब्ता 
तेरे रूपों में ढला तुझसा जुनूनी इन्सान चाहिए ।

जीस्त सरफ़रोश कर दिया जिसने देश के लिए
उसके कितने शाहकार हुए ख़ुलूस,वेश के लिए
जगी आँखों में जिसने ख़्वाब के जुग़नू जला दिए
सपने वो नहीं जो देखो नींद में,ऐसे गुर बता दिए ।

जो थका,हारा,न रुका कभी,रहा ख़ाब को जीता
कंकरीली,पथरीली,पगडंडियाँ सदा रहा चलता
कभी बुझ न सकेगी जो उसने दिखाई है रौशनी
उसकी दिखाई राह पर चलेगा ये मुल्क़ है यकीं ।

जिसकी ज़िंदगी का सरापा देश का विकास था
जिस मिसाईल मैन ने रचा अद्द्भुत इतिहास था
जिस व्यक्ति की हस्ती-ए-मालूम में सादगी भरी
शख़्सियत औ शोहरा  जहने-रसा  सोने सी खरी ।

तसव्वुरात से लबरेज रहा तेरे हयात का सफ़र
बहिश्त को सिधारा हैरां हैं सभी सुनकर ये खबर
तेरे ही नक़्शे-कदम पे चलेगा देश का हर नौजवां
आने वाली नस्लें करेंगी पूर्ण तेरे सपनों का कारवां  ।

साधा अमूल्य जीवन खुद से लड़कर हर कदम
शील,ध्यान,ज्ञान,प्रज्ञा प्राप्ति में सदैव रह निमग्न
जो निष्ठावान रहा मिशन की कामयाबी के लिए
किश्ते-दिल जिसका तड़पा मातु भारती के लिए  ।

तिरे कारे-हुनर ने ख़ल्क़ में पहचान दी कलाम
मज़हबों की पटे खाई बने ग़र हर कोई कलाम
तेरी सच्ची देशभक्ति तिरे किरदार को सलाम          
सफर के नेक इरादों वाले तहे दिल से परनाम  ।

शब्द अर्थ ---
अहबाब--लोग,बाग़,मित्र , क़बा-ए-जिस्म--जिस्म रूपी वस्त्र  ,
जीस्त--ज़िन्दगी , शाहकार -प्रशंसक , ख़ुलूस--सरल स्वभाव ,
हस्ती-ए-मालूम --वास्तविक जीवन , सरापा--सब कुछ ,
जहने-रसा--मस्तिष्क तक , हयात--जीवन , बहिश्त--स्वर्ग ,
ख़ल्क़ --संसार , किश्ते-दिल --ह्रदय भूमि
                                                                      शैल सिंह








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