शनिवार, 6 मई 2017

योगी जी पर कविता

         योगी जी पर कविता 


महर्षि रूपी मोती लाये मोदी जी खंगाल के
ये कीमती नगीना रखना पलकों बिठाल के ,
पारखी नज़रों से लाये खोज,हीरा तराश के
यू.पी.वालों कद्र करना योगी जी कमाल के ,

गरजता जो सिंह सा औ दहाड़ता है शेर सा
खुद के लिए न जिसका कुछ क्षुद्र स्वार्थ सा
वह ऐसा कर्मयोगी करता हिन्दुत्व की पैरवी
जिसपे जनता हुई न्यौछावर मुग्ध राग भैरवी ,

ऐसा कोहिनूर जाँच-परख़ ला सौंपा जौहरी
यू.पी.के तख़्त पे बैठा दिया दमदार चौधरी
जो निष्पक्ष द्वेषरहित करता निःस्वार्थ सेवाएं
स्वधर्म का हिमायती फ़िदा जिसपे फ़िज़ाएं ,

विरोधी तत्व ठप्पा लगाते सम्प्रदायवाद का 
इनका भाव राष्ट्र चिंतन अलख राष्ट्रवाद का 
भगवा रंग आत्मरुप हुंकार हिन्दुत्ववाद की
काट फेंक दिया जनता ने जड़ वंशवाद की ,

सर्वोपरि है राष्ट्र निर्माण हो उन्नत समाज का
निज की न कोई चाहत संकल्प कल्याण​ का
जिसने सुख,विलास तज धरा पथ निर्वाण का
वह संत बन गया है चहेता विस्तृत अवाम का।  

                                     शैल सिंह 

बुधवार, 3 मई 2017

'' कविता '' , '' वीर शहीदों के खूँ का बदला ''

        पाक की बार-बार नापाक हरकतों से आजिज़ एक सैनिक की मोदी सरकार से याचना ,हाल ही में सीमा पर हुए वीभत्स कांड से सारा देश आहत है और मोदी जी से सैनिकों के बंधे हाथ को खुली छूट देने की गुज़ारिश तथा कवायद में लगा है ,इसी परिप्रेक्ष्य में मेरी ये सामायिक रचना जो शायद अवलोकन करने वाले का भी दिल खौला दे और शहीदों के प्रति तथा देश के प्रति उन्माद जगा दे | 

    वीर शहीदों के खूँ का बदला


अब सही न जाये हानि जी
थोड़ा करने दो मनमानी जी  
जल्द खुली छूट दो मोदी जी
सर ऊपर हो गया पानी जी
सेनाओं का बढ़ा मनोबल
करने दो उत्पात तूफानी जी ,

कड़ी धूप के भीषण ताप में भी
डटा रहूँगा असह बरसात में भी
चाहे सर्दी की हो जैसी ठिठुरन
तूफांन,बवंडर की रात में भी
डिगा रहूँगा सीमा पर सीना ताने
दुश्मन बैठा हो चाहे घात में भी ,

डर नहीं बम,गोली बौछारों से
वतन की ख़ातिर मक्कारों से
चाहे भूख बिलबिला दे आहारों से
दर्द सह लैस रहूँगा औज़ारों से
जब तक तन आख़िरी सांस रहेगी
दहलाऊँगा खंग की टंकारों से ,

कभी पग पीछे नहीं हटाऊँगा
चाहे कितनी भी हों दुर्गम राहें
चप्पा-चप्पा आखों की गिरफ़्त में
रखूँगा दुश्मनों पर पैनी निगाहें
वीर शहीदों के खूँ का बदला
लूंगा आस्तीन चढ़ाकर दोनों बाँहें ,

हद कर दी पाक ने बर्बरता की
हमने मानवता की सजा ये पाई है
हमारे निर्दोष प्रहरियों की मोदी जी
देखो सिर कटी लाश घर आई है
हमें भी सर काट शत्रु के गेंद खेलना
जिद से भारत माँ की कसम खाई है ,

खौल रहा ख़ून बेसब्र धमनियों में
गर इक बार ईशारा मिल जाये
तबाही का ऐसा दिखलाऊँगा तांडव
कि पाकिस्तान की धरती थर्रा जाये
फिर पिशाच का पिल्ला तरेरकर
मजाल आँख उठाने की जुर्रत कर जाये  |

                                   शैल सिंह





बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...