शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

'' देश भक्ति कविता '' घटा भी बरसी ऐसे आज धाड़-धाड़ कर

'' देश भक्ति कविता ''   घटा भी बरसी ऐसे आज धाड़-धाड़ कर 


चिता पर दुलारों तेरी श्मशान रो रहा है
कैसे करें अगन हवाले जहान रो रहा है
धरा रो रही है नीला आसमान रो रहा है
जनाज़े पर तिरंगे का अपमान रो रहा है ,

भृकुटी तनी,आपा खोया,त्योरियां चढ़ीं  
लाल किले के बुर्ज़ ने तोड़ दिया संयम
छल-छद्म के बदले मन भड़की चिन्गारी                    
नरम रवैयों का सब्र ने खोल दिया बंधन, 

मौत का पाई-पाई कर्ज़ चुकाने को हम
माँ की सौगंध वर्दी तन पे सजा लिये हैं
कर अश्त्र ले दस-दस लाशें बिछाने का
सरहद पार जाने का वीणा उठा लिये हैं ,

ललकार रहीं उठती चिताओं से लपटें
पाकिस्तान को नेस्तनाबूंद कर देने को
हर आंसू हर आह से भड़क रहा शोला
ब्याज सहित जख़म वसूल कर लेने को ,

दग्ध चीत्कार पर माँ-बहनों परिजनों के
पाषाण हृदय के भी आँसू निर्बाध उमड़े
धाड़-धाड़ कर बरसी घटा भी आज ऐसे 
जब सुहागन के माँग की लालिमा उजड़े ,

तिरंगों में लिपटे अट्ठारह जवां शवों पर
देश कितना संतप्त,विदग्ध,शोकातुर है
किस्तों में मिला दर्द,कलेजे चुभा नश्तर
उर युद्ध की दुन्दुभि बजाने को आतुर है ,

किसी का अमर सुहाग  जला चिता में
गुलशन किसी का ख़ाक हुआ चिता में
कितनी माँ की कोख़ भष्म हुई चिता में
कितनों का आसरा स्वाहा हुई चिता में ,

टह-टह मेंहदी का रंग जिस हथेली पर
जिन केशों का गजरा मुरझाया नहीं था
उस द्वार पर आई सजी अर्थी सजन की
प्रसून जिस सेज का कुम्हलाया नहीं था ,

अब देखना हमारे संग्राम का पाक मंज़र
तोड़ीं उमड़ते सैलाबों ने सबर की सीमाएं
अब तो होगा दिल दहलाने वाला ताण्डव
मौत के साथ सामां हैं जलाने का भी लाए ।

                                           शैल सिंह





रविवार, 18 सितंबर 2016

पागलों का जमावड़ा

उरी में हुए आतंकी हमले और वीरों की शहादत पर लालू यादव के ये श्रद्धांजलि के शब्द हैं ,मोदी जी पर कटाक्ष कि ३६ इंच का सीना सिकुड़ गया ,इस उजड्ड गंवार की अक्ल को कौन ठिकाने लगाएगा सारा देश शोक संतप्त है ,इस शोक की घड़ी में तो सारे देशवासियों को घर के अन्तर्कलह को किनारे कर भारतीय एकता का सन्देश देना चाहिए ,लालू यादव के इस कथ्य पर भी बवाल मचाना चाहिए ,किस सरकार के कार्यकाल में इस तरह के घातक हमले नहीं हुए ,आशंका तो हो रही कहीं सरकार को बदनाम करने के लिए राजगद्दी की लालसा के लिए कहीं इन विरोधी तत्वों का हाथ तो नहीं ,यदि आतंकी हमलों पर, देश पर मंडराते हुए खतरों पर राजनितिक पार्टियां ऐसी बयानबाजी करती हैं तो पूरे देश से मेरा अनुरोध है की बेहूदे जुबानी हमलों पर उन्हें भी सबक अवश्य सिखाएं,धर्म,जाति-पांति को परे पखकर ऐसे हालात पर एक शब्द भी बेतुका बोलने वाले की जीभ काटकर उसके हाथों में रख देना होगा ,घर के बहरूपियों की उलटीसीधी ,अंट-शंट बयानबाजी से दुश्मनों को हिम्मत मिलती है ,कहाँ देशवासियों, जवानों का हौसला बढ़ाना चाहिए और कहाँ ताना और छींटाकसी केरना ,अरे लालू भी तो देश का नागरिक है क्यों नहीं ७२ इंच का सीना लेकर आगे आते कि प्रधानमंत्री बनकर ही देश का कल्याण करेंगे,शिवसेना की भी बयानबाजी रास नहीं आई,कौन जानबूझकर मौत को बुलावा देगा इन सनकी बरखुरदारों को जिहाद ,आतंक से निपटने की रणनीति पे चर्चा नहीं करनी है बस चूक कैसे हुई ,इनका कहने का मतलब साफ ,सैनिकों ने अपनी मौत का सामान खुद तैयार किया ,पागलों का जमावड़ा है इस देश में दुःख की घड़ी में भी ये लुच्चे एकजुट कभी नहीं हो सकते ,कितना गलत सन्देश जाता है आपसी दुराग्रह का,कभी सोचा है।

                                                                                                                                  शैल सिंह 

रत्ती भर परवाह नहीं ,

उरी कश्मीर में अपने १७ जवानों की शहादत और घायल हुए जवानों की खबर से आत्मा दुःख से चीत्कार रही है ,आक्रोश इतना कि चुन-चुन-कर गिन-गिन कर एक-एक को मन हो रहा है चुटकी से मसल-मसल कर इनकी जन्नत जाने वाली अछूत शरीर को आग लगाकर उस पर मैला डाल दें , जवानों के माँ,बाप,बहन,पत्नी बेटी का क्या हाल हो रहा होगा ,हम सिर्फ प्रतिक्रियाएं व्यक्त करते हैं लिख,बोलकर भड़ास निकालते हैं फिर कुछ दिन बाद ऐसा दर्द भूल जाते हैं लेकिन फिर ऐसी ही वारदात दुहराई जाती है ,जहर का घूंट कब तक पीते रहेंगे हिंदुस्तान का वह तबका कहाँ गया जो हमेशा विरोधाभाषी बातें करता रहता है कहाँ गए ओवैसी और कश्मीर के अलगाववादी नेता वो विरोधी पार्टियां जिनकी लंबी-लंबी जुबानें चार हाथ बाहार निकलकर भड़काने वाली बातें करती हैं ,यदि आज अभी कोई कारगर कदम उठाया जाय तो चों-चों करने के लिए सभी पार्टियां दुश्मनों की तरह एक मंच पर आ जाते हैं मोदी जी के ख़िलाफ़ आवाज उठाने  के लिए ,यदि सभी हिंदुस्तानी एक मत से ऐसी घटनाओं के निराकरण के लिए आवाज बुलंद करें सभी अराजक तन्तुओं के आचरण का बहिष्कार करें ,देश के प्रति सब एकजुट हो जाएँ तो क्या मजाल कोई आँख दिखाए ,बहुत ही आहत हृदय हुआ है ,सभी सीमाओं पर अपोजिट बोलने वाले नेताओं के दुलारों को तैनात कर उनके जनाजे का नजारा देखना चाहिए ,दाल,पेट्रोल,किराया भाड़ा पर बोलना गरीबों को अनपढ़ों को भड़काना तो बड़ा अच्छा लगता है शहीदों और सेनाओं के लिए क्या होना चाहिए उसकी रत्ती भर परवाह नहीं ,सारे मिडिया वालों और पत्रकारों की कलम और जुबान भी शहीद हो गई शहीदों के साथ ।
         
                                                                                 शैल सिंह 

बड़े गुमान से उड़ान मेरी,विद्वेषी लोग आंके थे ढहा सके ना शतरंज के बिसात बुलंद से ईरादे  ध्येय ने बदल दिया मुक़द्दर संघर्ष की स्याही से कद अंबर...