शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

हे प्रभो

हे प्रभो 



आस्था श्रद्धा की अविरल बौछार प्रभो
जलधार समझ कर पी लेना ,

मेरी निष्ठा,नैतिकता,पुनीत कर्म को प्रभो
अगर,अक्षत गंध बना लेना ,

मेरी साधन क्षमता ही तेरा नैवेद्य प्रभो
सम्पदा का चन्दन घिस लेना ,

करुणा दया सद्दभाव समझ भोग प्रभो
सद्द्गुणों का दीप जला लेना ,

चरण रज सामर्थ्य का पुष्प अर्पित प्रभो
अनुकम्पा असीम बरसा देना ,

अस्तित्व तेरा जग में है अन्तर्यामी प्रभो
अद्वैत चमत्कार दिखला देना ,

मन का मनोरथ तिरोहित कर देना प्रभो
विश्वास बलवान बना देना ।
                                                   शैल सिंह 

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