मंगलवार, 9 सितंबर 2014

इंतज़ार कीजिए

इंतज़ार कीजिए


बदल रही है आबो-हवा,फ़िज़ा मेरे देश की
जल्द ही आएंगे अच्छे दिन इंतज़ार कीजिए

भूखमरी मिटेगी ग़रीबी भी दूर होगी देश की
ज़ीस्त में सबके आएगी बहार इंतजार कीजिए

इक दिन मुल्क़ होगा रौशन अमन के चराग़ से,
जुल्मों-सितम की ढहेगी दीवार इंतजार कीजिये ,

ना होंगे आँख में आँसू किसी मजबूर,बेबस की
दौर आएगा ऐसा भी बरखुरदार इंतजार कीजिये ,

जमीं उगलेगी सोना सौ गुना खेती लहलहाएगी
खिलेंगे फूल ख़ुशी के उर के द्वार इंतजार कीजिये,

ना ही कोई आँख तरेरेगा ना सहेंगे धौंस किसी की
अजी करेंगे दुश्मनों को खबरदार इंतजार कीजिये,

हमारे लुत्फ़ो-करम के आधीन नत विश्व भी होगा
कभी सुनेंगे बुलेटिन पर समाचार इंतजार कीजिये ,

अभी तो हुए हैं बस जुम्मा-जुम्मा चार दिन ज़नाब
ना कीजिये इतने प्रश्नों की बौछार इंतजार कीजिये ,

जिसके आवाज़ में जादू अंतर्मन छू लें जिसके भाव
देश को मिला ऐसा नगीना दमदार इंतजार कीजिये ,

                                                                        शैलसिंघ 

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