बेटियों की महत्ता पर कविता ''
'' सुराख आस्मां में कर दें इतनी ताब हैं रखते हम ''
हम वो फूल हैं जो महका दें अकेले पूरे चमन को
,हम वो दीप हैं जो रोशनी से भर दें अकेले पूरे भवन को,हम वो समंदर हैं जो तृप्त कर दें सारे संसार को,
और समेट भी लें अपने आगोश में सारी कायनात को,
हम चाहें तो स्वर्ग उतार लाएं आसमान से ।
गर हम बेटियां ना होतीं विपुल संसार नहीं होता
गर ये बेटियां ना होतीं ललित घर-बार नहीं होता
गर बेटियां ना होतीं भुवन पर अवतार नहीं होता
गर हम बेटियां ना होतीं रिश्ते-परिवार नहीं होता ।
गर हम बेटियां ना होतीं रिश्ते-परिवार नहीं होता ।
हमने तोड़ के सारे बन्धन अपनी जमीं तलाशा है
दृढ़ इरादों के पैनी धार से अपना हुनर तराशा है
दृढ़ इरादों के पैनी धार से अपना हुनर तराशा है
हमने फहरा दिया अंतरिक्ष में अस्तित्व का झंडा
सूरज के शहर डालें बसेरा मन की अभिलाषा है ।
झिझक,संकोच शर्म के बेड़ियों की तोड़ सीमाएं
हौसले को पंख लगा निडर उड़ने को मिल जाएं
हौसले को पंख लगा निडर उड़ने को मिल जाएं
सुराख आस्मां में कर दें इतनी ताब हैं रखते हम
बदल जग सोच का पर्दा हमारी शक्ति आजमाए ।
मूर्ख से कालिदास बने विद्वान दुत्कार हमारी थी
तुलसी रामचरित लिख डाले फटकार हमारी थी
विरांगनाओं के शौर्य की गाथा जानता जग सारा
अनुपम सृष्टि की भी रचना अवनि पर हमारी थी ।
इक वो भी जमाना था के इक नारी ही नारी पर
सितम करती थी घर आई नवोढ़ाओं बेचारी पर
सितम करती थी घर आई नवोढ़ाओं बेचारी पर
संकीर्ण मानसिकता से उबार उन्हें भी संवारा है
पलकों पर बैठा सासूओं ने बहुओं को दुलारा है ।
क़ातर कण्ठों से करती निवेदन माँओं सुन लेना
क़ातर कण्ठों से करती निवेदन माँओं सुन लेना
मार भ्रूण हमारा कोंख में यूँ अपमान मत करना
क्यों हो गईं निर्मम तूं माँ अपने अंश की क़ातिल
हमें बेटों से कमतर आँकने का भाव मत रखना ।
हमें बेटों से कमतर आँकने का भाव मत रखना ।
हम जैसे ख़जानों को पराये हृदय खोलकर मांगें
हमारे लिए कभी रोयेंगे आँगन ये दीवार,दरवाज़े
हमारे लिए कभी रोयेंगे आँगन ये दीवार,दरवाज़े
हम परिन्दा हैं बागों के तेरे आँगन की विरवा माँ
रिश्तों की वो संदल हैं खुश्बू से दो घर महका दें ।
करें मुकाम हर हासिल गर अवसर मिले हमको
रिश्तों की वो संदल हैं खुश्बू से दो घर महका दें ।
करें मुकाम हर हासिल गर अवसर मिले हमको
कर स्वीकार चुनौतियाँ हमने चौंकाया है सबको
लहरा दिया अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पे राष्ट्र का ग़ौरव
बेहतर कर दिखायें गर जगत में आने दो हमको ।
लहरा दिया अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पे राष्ट्र का ग़ौरव
बेहतर कर दिखायें गर जगत में आने दो हमको ।
विपुल---विशाल , ललित---सुन्दर ,
भुवन---- जगत , अवनि----पृथ्वी ।
शैल सिंह
भुवन---- जगत , अवनि----पृथ्वी ।
शैल सिंह
सुन्दर
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