आत्मविश्वास सबसे बड़ी ताक़त है
कुछ लोग कांटे बिछाए बहुत चाह की राह में
मगर कांटे भी कर लिए मुहब्बत मेरी चाह से ,
मगर कांटे भी कर लिए मुहब्बत मेरी चाह से ,
कोशिशें बहुत किये लोग मनोबल तोड़ने की
मगर साथ निबाहा मेरा धैर्य ने धैर्य के हाथ से ,
रस्सी आत्मविश्वासन की थामे रहीं मुरादें मेरी
नहीं तो ख़ाब हो जाता धराशाई छल विद्वेष से ,
चक्रवात आया बहुत,ज़िद मेरी जूझ लहरों से
लाकर खड़ी कर दी कग़ार पे क़श्ती गैरत से ,
शक़ खुदा को भी ना था क़ाबिलियत पर मेरी
बख़्श दी रब ने भी चाहत मेरी क़ाबिलियत से ,
कबतक मिटायेगा द्वेष से कोई हस्तरेखा मेरी
जल-जल ख़ुद ख़ाक होंगे वैरी मेरी हैसियत से ,
कैसी-कैसी परिस्थितियों से गुजरी यह ज़िंदगी
मिली तब आकर मुझसे मेरी मन्ज़़िल ख़ुशी से ।
शैल सिंह
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