शुक्रवार, 25 मई 2018

एक व्यंगात्मक कविता '' पाक भी आंख तरेरेगा बन्धु ''

एक व्यंग्यात्मक कविता 
'' पाक भी आंख तरेरेगा बन्धु ''


चलो देखें अजूबा प्रेमानुराग
चालू भतीजे,फूफीजान का
फूफी बैरी से हाथ मिला भूलीं
किस्सा गेस्टहाऊस अपमान का ,

इक मंच साझा कर बहरूपिये सारे
नौटंकी करने को मजबूर हुए
देख मोदी जी का बजता डंका
बौखलाहट में भस्मासुर हुए
इसी विरोध के सुर,राग,लहर में
मोदी जी देश-विदेश मशहूर हुए
मोदी रोको एक ही मकसद
इस गठबंधन के अभियान का
बेच जमीर कुकुरमुत्तों ने
खो दी इज्ज़त मान-सम्मान का ।

शामिल तीन खातूनें भी पाखंड में
माया,ममता,इटली वाली हैं 
देखें कितना दिन निभता है
दोस्ती भी देशद्रोहियों की जाली है
मोदी जी की शोहरत का भय
इन अमलों को डंसता खाली है
येचुरी,केजरी,चाराचोर सपूत,नायडू
आदि का मिलन जमीं आसमान का
देख जोकरपन पप्पू संग भांडों की
आ रही हँसी सच में आप मान का ।

खड़ी हुईं खिलाफ़त बीजेपी के 
एक साथ गद्दारों की टोलियां
साम्प्रदायिकता का ठप्पा जड़जड़
दाग़ें अनर्गल प्रचार की गोलियां
इस सियासत में चर्च भी कूदा
छेदतीं भ्रष्ट जमातों की बोलियां
देखो मंडराता हिंदूत्व पर खतरा
सवाल हिन्दुस्तान के स्वाभिमान का
जागो देश की उन्नींदी जनता जागो
मत सोओ ऐसी नींद इत्मिनान का ।

ग़र देश को अपने शीर्ष पर देखना
छोड़ना होगा आपसी मतभेद की बातें
किसी के बरगलाने में गर आओगे
सहना होगा घातक गद्दारों की घातें
पाक भी आंख तरेरेगा बन्धु 
छोटी सी भूल की कीमत पर आके
है संघ को भी लेकर साथ में चलना
जो मेरूदंड हिन्दूत्व की आन का
इक विनती समर्थकों सन उन्नीस में
रखना मान नरेन्द्र मोदी की शान का ।

शैल सिंह
सर्वाधिकार सुरक्षित
                         

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