उड़ा रंग-बिरंगा अबीर गुलाल
कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल,
अलमस्त रंगरसिया पाहुना ने
प्रेमरस बरसा उर के अँगना में
कर दिया काला गुलाबी गाल
कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल,
रंग दिया मुझे संवरिया ने ऐसे
सब इसी रंग में रंगने को तरसें
देख के गुलज़ार दिल का हाल
कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल,
पी भंग घर-घर हुड़दंग मचाते
हुरियारे हर रंग अंग पे लगाते
झूम बजाते ढोल,मंजीरे झाल
कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल,
नाचते गाते सब मस्त उमंग में
जोगीरा सर रर कहते तरंग में
बुरा न मानो होली है रंग डाल
कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल,
मन घोले केसर फगुनी बयार
मन से मिलाये मन ये त्योहार
मलाल मिटा के करदे निहाल
कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल,
है सबके लिए मंगलकामनाएँ
हिल-मिल प्यार से पर्व मनाएँ
रहे ना कोई भी मन में मलाल
कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल,
सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह
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