बुधवार, 30 जनवरी 2013

मौजूदा हालात पर

 मौजूदा हालात पर

सर  बांधो  तिरंगा  सेहरा माँ
कर  दु धारी  तलवार   थमा
फौलादी   बाँहें    मचल  रहीं
ख़ौल रहा ज़िस्म में लहू जमा।

माथे तिलक लगा विदा कर
प्रण है रण में  जाना मुझको
शीश काट बैरी दुश्मनों का
चरणों में तेरे चढ़ाना मुझको।

चीत्कार रहा है सिहर कलेजा
पिता,पति,पुत्र खोया है वतन
क़ायरों ने घोंपा है पीठ में छुरा
शांति अमन के हर व्यर्थ जतन।

जननी बूंद-बूंद क़तरे-क़तरे का 
लूँगा हिसाब ज़ाहिल भौंड़ों का
अभी घावों का सुर्ख गरम लोहा
करना घातक वार हथौड़ों का।


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