ग़ज़ल
बिना मेरे कैसे वक़्त गुज़ारोगे मुझे छोड़ने के बाद
दिल को क्या कह बहलाओगे मुझे छोड़ने के बाद ।
किसी और का न हो पाओगे मुझे छोड़ने के बाद
जो मेरी ऑंखों में अश्क़ों का तोहफ़ा दिया तुमने
तरस जाओगे तुम चाहत को मुझे छोड़ने के बाद ।
तेरा अपराध उजागर हो जायेगा मुझे छोड़ने के बाद
कैसे तोहमतों को करोगे बर्दाश्त मुझे छोड़ने के बाद
भींगाओगे तन्हाईयों में बालिश याद कर वफ़ाएं मेरी
बस नावाकिफ़ तुझे लोग मिलेंगे मुझे छोड़ने के बाद ।
मुझ सा किरदार नहीं पाओगे मुझे छोड़ने के बाद
हो जाओगे बदनाम ख़ल्क़ में मुझे छोड़ने के बाद
ठुकराया जिनके लिए दिया दर्द की सजा मुझको
मुझसा हमसफ़र नहीं पाओगे मुझे छोड़ने के बाद ।
दिल लगाना खता थी मेरी जाना मुझे छोड़ने के बाद
लब से हटा ना पाओगे नाम मेरा मुझे छोड़ने के बाद
जब भी झांकोगे खोल दरीचा दिल के आशियाने का
कोई दूर तलक नजर ना आयेगा मुझे छोड़ने के बाद ।
ख़ल्क़---दुनिया
बालिश---तकिया या मसनद
नावाकिफ़---अनजान या अजनबी
दरीचा---खिड़की या झरोखा
शैल सिंह
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