ज़िन्दगी पर कविता
हंसकर मिलें ख़ुशी से खुलकर हंसें सभी से।
बचपन में खेले हम कभी चढ़के आई जवानी
फिर आयेगा बुढ़ापा ख़त्म फिर होगी कहानी
न कुछ लेकर आये थे न ही कुछ लेके जायेंगे
न होगा दिन ऐसा सुहाना न रात ऐसी सुहानी।
दो पल की ज़िन्दगी है दो पल जियें ख़ुशी से
हंसकर मिलें ख़ुशी से खुलकर हंसें सभी से।
बीता कल न कभी आया न ही आने वाला है
बस आज में जियें यह पल भी जाने वाला है।
कल की फ़िक्र में ना कभी आज को गंवाइए
कर मीठी मीठी बातें रूठों को मनाने वाला है।
दो पल की ज़िंदगी है दो पल जियें ख़ुशी से
हंसकर मिलें ख़ुशी से खुलकर हंसें सभी से।
हम मीठी बोली बोलें घोलें रिश्तों में मिठास
गुनगुनाते जियें ज़िन्दगी महकायें हम सुवास
हम लुटायें सब पर नेह नये सम्बन्ध बना कर
सफ़र ज़िन्दगी का चलें मिलकर सबके साथ।
दो पल की ज़िंदगी है दो पल जीलें ख़ुशी से
हंसकर मिलें ख़ुशी से खुलकर हंसें सभी से।
जवानी तो काटी सुनहरे भविष्य की आस में
पर भविष्य बुढ़ापे का रूप धार खड़ी पास में
लौट न आने वाले लम्हों की याद में खुश रहें
कल कब किसने देखा बस आज में खुश रहें।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह
इसलिए आज मोदी जी को वोट करें ५२३ पार करवाएं और खुश रहें हा हा
जवाब देंहटाएंकरना तो यही है
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंधन्यवाद
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंआशा और विश्वास की उम्मीद जगाता सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद पांच लिंकों के आनन्द में मेरी रचना शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएं