सोमवार, 25 मार्च 2024

कल की आरजू में आज को गंवाना नहीं अच्छा
ना जाने क्या हो कल ये तो कोई नहीं है जानता 
आज कभी लौटकर नहीं आता है आज में जीयें
कल न जाने क्या घट जाए कोई नहीं है जानता।
शैल सिंह 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शायरी

शायरी--- निगाहों के रस्ते दिल में उतरकर बिन कहे जाने क्या से क्या कह गये रूह तक मेरा अपने वश में कर लिया  जाने क्या क्या दिल पर पैगाम लिख गय...