" वसंत पंचमी " पर कविता
आओ वसंत पंचमी पर्व मनायें प्रकृति ने ली अंगड़ाई है
वासंती परिधान का जलवा चहुं ओर खिली तरुणाई है।
मन रंगा वसंती रंग में
और रंग गई सगरी जहनियां
झूर-झूर बहे मलयज का झोंका
ऋतुराज करें अगुवनियां ,मन रंगा .... |
चन्दा लुक-छुप करे शरारत
ओट से चकोर निहारे चंदनियां
मधुऋतु की शुभ्र सुहावन बेला
बेली,पल्लव ताने पुष्प कमनियां ,मन रंगा ... |
पपिहा,कोयल,बुलबुल चहकें
रून-झून नाचे मोर-मोरनियां
नवल सिंगार कर प्रकृति विहँसे
वन भरें कुलाँचे हिरनियां ,मन रंगा ….|
महुवा मद में रस से लथपथ
अमुवा मऊर बऊरनियां
निमिया फूल के गहबर झहरे
हरियर पात झकोरे जमुनियां ,मन रंगा ....|
हरषें बेला,चमेली,चंपा
भ्रमरे गुन-गुन गायें रागिनियां
पीत वसन पेन्हि ग़दर मचाये
सरसों चढ़ी बिंदास जवनियां ,मन रंगा ....|
ठसक से आये वसंती पाहुन
सतरंगी ओढ़ी ओढ़नियां
पतझर सावन सा मुस्काया
पिक बोले पुलकित कू-कू वनियां ,मन रंगा ....|
टेसू,केसू,ढाक पल्लवित पलास
रूप अभिनव धरे टहनियां
लावण्य टपकता अम्बर से
सज बावरी धरा बनी दुलहिनियां ,मन रंगा ....|
पीतवर्ण कुसुमाकर,रक्तिम गाँछें
प्रमुदित किंशुक कहें कहनियां
परागकण से सुरभित चहुँदिशा
सिन्दूरी प्रभा से दीप्त किरिनियां ,मन रंगा ....|
स्निग्ध हो गई बगिया सारी
फूले नहीं समाये मलिनियां
किसलय फूटे पँखुरियों से
अधखिली कलियाँ हुईं सयनियां ,मन रंगा ....|
गेंदा,गुलाब,जूही निकुंज की
मखमली विलोकें चरनियां
नथुनों घोले सुवास मौलश्री
बूढ़े पीपल की करतल ध्वनियां ,मन रंगा ....|
ठूंठ के दिन बहुराई गए
पछुवा भई छिनाल दीवनियां
अँगना तुलसी विरवा मह-मह
बहे रस-रस मंद-मंद पुरवनियां ,मन रंगा ....|
फगुनहटा का आग़ाज कुसुम्भी
रंगी पिया रंग विरहिनियां
सखी आयेंगे परदेशी बालम
नथिया,बेदी लेके संग झुलनियां ,मन रंगा ....|
मथुरा ,वृंदावन ,बरसाने ,
बजे ब्रज,नन्दगांव पैंजनियां
अबीर,गुलाल ले धमाल मचाएं
फाग गा-गा अल्हड़ ग्वालनियां ,मन रंगा ....|
सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह
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